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Ballia : बलिया रंग महोत्सव का हुआ आगाज, पूरे भारत को जोड़ रहा है यह महोत्सव

बलिया। अखिल भारतीय नाट्य नृत्य प्रतियोगिता बलिया रंग महोत्सव का शुभारंभ जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर संजीत कुमार गुप्त ने दीप प्रज्ज्वलन कर किए। अपने उद्बोधन में कहा कि बलिया मंे आयोजित यह राष्ट्रीय महोत्सव पूरे भारत को जोड़ रहा है, यहां एक लघु भारत दिखाई दे रहा है।

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महोत्सव का शुभारंभ वाराणसी के संदीप मौर्य की कथक नृत्य पर गणेश वंदना से हुआ। इसके बाद नटराज यूथ क्लब साहबगंज झारखंड के कलाकारों ने नागपुरी लोकनृत्य प्रस्तुत किए। असम का बिहू लोकनृत्य प्रस्तुत कर गुवाहटी की दीपा ने लोगों को झुमाया। गुरुकुल विद्यापीठ गड़वार के पंजाबी लोक नृत्य भागड़ा और राजस्थानी लोकनृत्य कालबेलिया की प्रस्तुति स्टेप आर्ट तथा संजीव यादव और गणेश कुमार ने कथक और प्राथमिक विद्यालय शेरवां कलां के बच्चों ने योग नृत्य प्रस्तुत दर्शकों को हैरान कर दिए।


रंग थियेटर ग्रुप गिरिडीह झारखंड की प्रस्तुति कैनवास की मौत को देख कर लोग दांतों तले अंगुली दबाने लगे। शारदा नाट्य मंच धनबाद द्वारा लेखक अख्तर अली, निर्देशक अनिल कुमार सिंह के दल द्वारा प्रस्तुत नाटक मोहब्बत के साइड इफेक्ट, और पथ जमशेदपुर के पंक्षी नाटक को खूब तालियां मिली। आज का महोत्सव संस्कार भारती के महान साधक स्व. अमीरचंद जी को समर्पित रहा। निर्णायक मंडल में मु. निजाम जमशेदपुर, अंजुला कुमारी पटना, आशुतोष कुमार सिंह बलिया रहे।


डॉ.शिवकुमार सिंह कौशिकेय, भोला प्रसाद आग्नेय, धीरज गुप्त, संजय सिंह, भानु प्रकाश सिंह, ताराचंद, अभय सिंह कुशवाहा सहित अनेक गणमान्य उपस्थित रहे।

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