Asarfi

Ballia : धूमधाम से मना बलिया बलिदान दिवस


बलिया।
बलिदान दिवस के मौके पर जेल का फाटक खुला और जनपद के एक मात्र जीवित सेनानी पं राम विचार पाण्डेय के नेतृत्व में सेनानियों का जत्था प्रतीकात्मक रूप से जेल से बाहर निकला। जेल से बाहर निकलते समय पं0 राम विचार पाण्डेय के एक तरफ परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह, तो दूसरी तरफ अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री दानिश आजाद अंसारी थे। इसके अलावा तमाम सेनानियों के परिजन व जनपद के वरिष्ठ लोगों ने इस कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। जेल से निकलते समय भारत माता की जय, वन्देमातरम एवं जेल का फाटक टूटेगा, चित्तू पाण्डेय छूटेगा के गगनभेदी नारे लोग बोल रहे थे।

Harisankar Prasad Law

मंत्री, ज़िलाधिकारी समेत सभी लोगों ने जेल परिसर में स्थित सेनानी राजकुमार बाघ की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उनको नमन किया। इसके बाद यह जत्था कुंवर सिंह चौराहा, टीडी चौराहा, चित्तू पांडेय चौराहा होते हुए रामलीला मैदान पहुँचा। इस मौक़े पर परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने कहा कि बलिया के लिए यह दिन गौरव का दिन होता है, जब 1942 में बलिया ने ख़ुद को आजाद करा दिया था। कहा कि पूरे देश में तीन जनपद आजाद हुए थे। बंगाल का मेदनीपुर, महाराष्ट्र के सतारा तथा उत्तर प्रदेश का बलिया ज़िला 1942 में ही आजाद हो गया था।

बलिया की परम्परा है कि जेल का फाटक खुलता है और हमारे बलिया के क्रांतिकारी चित्तू पाण्डेय के नेतृत्व में जेल से बाहर निकलते हैं और बलिया की जनता उनका स्वागत और अभिनन्दन करती है। ज़िलाधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार ने कहा कि 19 अगस्त 1942 को बलिया आजाद हो गया था, जिसे हम बलिया बलिदान दिवस के रूप में मनाते हैं। इसे बलिया विजय दिवस भी बोलते है। इस दिन अंग्रेजों से मुक्त होकर चित्तू पाण्डेय जी के नेतृत्व में सरकार बनी थी। उस दिन जेल के फाटक खोल दिये गये थे और जितने भी कैदी थे, उनको मुक्त करा लिया गया था।

Spread the love
Skin care clinic

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Jamunaram