Ballia : गीत-नाटिका के माध्यम से याद किए बलिया के बलिदानी
बलिया। आरके मिशन स्कूल सागरपाली के विद्यार्थियों ने अपने जनपद के बलिदानियों को नाटकीय प्रस्तुति के साथ याद किया। अपने ही इतिहास से अवगत कराते हुए बच्चों ने कविता, नाटक तथा गीत के सम्मिलित रूप से एक कार्यक्रम की प्रस्तुति दीं, जिसमें लगभग विद्यालय के 50 बच्चों ने प्रतिभाग किया। सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की कविता देश कागज पर बना नक्शा नहीं होता ने जहां सबके भीतर के मर्म को उकेरा तो वहीं अगस्त क्रांति की घटनाओं पर आधारित नाटक की प्रस्तुति ने सभी को आत्मगौरव से लबरेज़ कर दिया। जिसकी शुरुआत जगदीश ओझा सुंदर की रचना भारत छोड़ो के नारे की बलिया एक अमिट निशानी है से की, जिसे स्वर दिया है शैलेन्द्र मिश्र ने। ततपश्चात बैरिया थाने पर घटित गोली कांड के दृश्य ने सबको दहला कर रख दिया। जहां 18 वर्षीय युवक कौशल किशोर सहित कुल 19 नवयुवकों की हत्या तब ब्रिटिश पुलिस ने की थी।
कार्यक्रम के अंत में छात्राओं ने बाबू रघुवीर नारायण की वह रचना जो स्वतंत्रता पूर्व सम्पूर्ण भोजपुरी क्षेत्र में राष्ट्रगीत की तरह गायी जाती थी सुंदर सुभूमि भईया की मनहर प्रस्तुति दी, जिसने सभी को रसासिक्त किया। जिसके लिए प्रशिक्षण संगीत शिक्षक चन्द्रलोक वर्मा ने दिया था। लगभग 22 मिनट की इस प्रस्तुति ने आदि से अंत तक विद्यालय प्रांगण में उपस्थित सभी के मन को बांधे रखा। कार्यक्रम में सूत्रधार की भूमिका में कक्षा 10वीं की छात्रा सौम्या एवं समृद्धि ने निभाई। वहीं धमेंद्र वर्मा एवं प्रशांत मौर्या ने अपना यथोचित तकनीकी सहयोग दिया।
विद्यालय के प्रबंधक हर्ष श्रीवास्तव ने अपने उद्बोधन में सभी प्रतिभागियों की प्रस्तुति की सराहना करते हुए प्रांगण में उपस्थित सभी को निज गौरव का एहसास कराया और यह भी कहा कि बलिया वासियों ने कभी किसी की दासता स्वीकार नहीं की। अंत में उन्होंने बलिया के बलिदानियों के प्रति अपनी शब्द श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर विद्यालय के उप प्रधानाचार्य प्रदीप सिंह, अंजनी प्रजापति, संतोष सिंह, शुभम वर्मा, सुनीता ज्योति, कंचन मिश्रा, राजीव पांडेय, संजीव सिंह आदि अन्य शिक्षक उपस्थित रहें। मंच सज्जा में श्वेता वर्मा का विशेष योगदान रहा। बलिया बलिदान दिवस पर केंद्रित इस पूरे कार्यक्रम का सकुशल निर्देशन उत्कर्ष तिवारी ने किया।