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Ballia : दो सितंबर को मनाया जाएगा सोमवती अमावस्या का पर्व, बोले डा. अखिलेश उपाध्याय

बलिया। भाद्रपद महीने की कृष्ण पक्ष अमावस्या इस बार सोमवार को पड़ रही है। इसलिए दो सितंबर को सोमवती अमावस्या का पावन पर्व मनाया जाएगा। भाद्रपद माह की अमावस्या के दिन 2 शुभ योग का निर्माण भी हो रहा है। इस दिन सुबह सूर्याेदय से लेकर शाम के 6 बजकर 20 मिनट तक शिव योग रहेगा। इसके बाद सिद्ध योग रहेगा। शिव योग में पूजा-पाठ करने से देवी- देवताओं की विशेष कृपा प्राप्ति होगी। अमावस्या के दिन सूर्यास्त के बाद वायु रूप में पितृ श्राद्ध व तर्पण की इच्छा से अपने परिजनों के घर की चौखट पर आयेंगे इसलिए अमावस्या के दिन पितरों के निमित्त श्राद्ध, तर्पण या पितृ पूजन जरूर करना चाहिए। इससे पितरों को तृप्ति मिलेगी और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होगी। साथ ही पितृ प्रसन्न होकर परिजनों को सुख, शांति व समृद्धि का आशीर्वाद देंगे।
ज्योतिषाचार्य डॉ अखिलेश कुमार उपाध्याय ने बताया कि सोमवती अमावस्या के दिन सुहागन महिलाओं को सौभाग्य के आशीर्वाद प्राप्ति हेतु इस दिन व्रत रखकर और भगवान भोलेनाथ के साथ माता पार्वती की पूजा करके फिर पीपल के पेड़ की 108 बार परिक्रमा करके देव वृक्ष पीपल में रक्षासूत्र या लाल रंग का धागा लपेटकर पूजा करने का विशेष महत्व है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान आदि करने के बाद सूर्यदेव को अर्घ्य प्रदान करे। गरीब या जरूरतमंद को अपनी क्षमता अनुसार दान करे। इस तिथि को तामसिक सेवन और तुलसी को छूना या जल अर्पित करना भी वर्जित रहेगा।


अमावस्या के दिन कुशा घास निकालने के नियम का करें पालन
बलिया। हिन्दू धर्म में कुश के बिना किसी भी पूजा को सफल नहीं माना जाता है। इसलिए भाद्रपद कृष्ण अमावस्या को कुशोत्पाटिनी अमावस्या या कुशाग्रहणी अमावस्या कहा जाता है। इस दिन कुशा नामक घास को उखाड़ने से यह वर्ष भर कार्य करती है तथा पूजा पाठ कर्म कांड सभी शुभ कार्यों में आचमन में या जाप में उपयोग में आती है। यदि भाद्रपद माह में सोमवती अमावस्या पड़े तो इस कुशा का उपयोग 12 सालों तक किया जा सकता है। अमावस्या के दिन कुशा घास को निकालने के कुछ नियम होते है जिनका पालन आवश्यक होता है।
कुशारू काशा यवा दूर्वा उशीराच्छ सकुन्दकारू।
गोधूमा ब्राह्मयो मौन्जा दश दर्भारू सबल्वजारू।।
ज्योतिषाचार्य डॉ अखिलेश कुमार उपाध्याय ने बताया कि कुशा को निकालते समय यह ध्यान रखाना चाहिए कि कुशा को किसी भी औजार से ना काटा जाये, इसे केवल हाथों से ही निकलना चाहिए और कुशा घास खंडित नहीं होनी चाहिए। अर्थात् घास का अग्रभाग टूटा हुआ नहीं होना चाहिए। कुशा एकत्रित करने के लिए सूर्याेदय का समय सर्वश्रेष्ठ माना गया है। अतः ‘ऊँ हुम् फट’ मन्त्र का उच्चारण करते हुए उत्तराभिमुख होकर कुशा उखाड़नी चाहिए। दाहिने हाथ से एक बार में ही कुशा को निकालना चाहिए।

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