
बलिया। किसी भी देश की राष्ट्रीयता उसकी लोक विधा में सन्निहित होती है। आज भी हमारे देश में लोक परंपरा की यह विधा जीवंत है। अगरसंडा स्थित सनबीम स्कूल व स्पिक मैके के संयुक्त तत्वावधान में विद्यालय परिसर के नमन हाल में उड़ीसा राज्य की शास्त्रीय नृत्य शैली का आयोजन किया गया। इस अवसर पर दल के प्रसिद्ध कलाकारों द्वारा छात्रों व अभिभावकों के समक्ष गोटीपुआ लोक नृत्य की प्रस्तुति दी गई। कार्यक्रम का शुभारंभ विद्यालय के निदेशक डॉ कुंवर अरुण सिंह, अतिथि कलाकार विजय कुमार साहू व प्रधानाचार्या डॉ अर्पिता सिंह द्वारा दीप प्रज्वलन से हुआ।


वाद्य यंत्रों के साथ कलाकारों की भाव भंगिमाओं, चमत्कृत करने वाले पिरामिड्स संग नृत्य शैली ने ऐसा समा बांधा कि दर्शक समाप्ति तक प्रस्तुति का रसास्वादन करते रहे। कार्यक्रम की समाप्ति पर छात्रों ने जटिल नृत्य की बारीकियों को समझा व संबंधित प्रश्न भी पूछे। कलाकार अतिथि ने बताया कि गोटीपुआ लोक नृत्य भारत के उड़ीसा राज्य का पारंपरिक लोक नृत्य है।

आज से लगभग 700 वर्ष पूर्व चौतन्य महाप्रभु उड़ीसा आए थे तब वहां के मंदिरों में इस नृत्य परंपरा का प्रादुर्भाव हुआ। समकालीन समय में एक लड़का ही लड़की के रूप में नृत्य के द्वारा अपने भाव को ईश्वर को समर्पित करता था। अंत में उन्होंने रहस्योद्घाटन किया कि इस कार्यक्रम में जिन लड़की कलाकारों को आप देख रहे थे। वास्तव में वे हमारी गुरुकुल के किशोर छात्र है। विशिष्ट अतिथि जनपद के सोवई बांध निवासी व कैलिफोर्निया में प्रैक्टिस कर रहे हृदय शल्य चिकित्सक डॉ विजय कुमार तिवारी थे। अनेक प्रतिष्ठित सम्मानों से सम्मानित डॉ तिवारी ने बच्चों द्वारा पूछे गए प्रश्नों का समुचित जवाब देकर उन्हें संतुष्ट किया।

कहा कि समाज सेवा आप विश्व के किसी भी देश में रहकर कर सकते हैं। विद्यालय के निदेशक डा कुंवर अरुण सिंह ने कहा कि नई पीढ़ी को आधुनिक ज्ञान के साथ समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को भी जानना चाहिए। प्रधानाचार्या डॉ अर्पिता सिंह ने लोक विधाओं को भारतीय समाज का प्राचीन गौरव व अभिन्न अंग बताया। विद्यालय प्रशासन द्वारा मुख्य अतिथि व विशिष्ट अतिथि को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर प्रशासक एसके चतुर्वेदी, पंकज सिंह, सहरबानो, नीतू पांडेय, निधि सिंह आदि मौजूद रहे। संचालन मेघना सिंह व दीक्षा यादव ने किया।
