बलिया: पांच डकैतों को दस-दस साल का कारावास , इस गांव में 28 साल पहले हुई थी डकैती

बलिया। कहते हैं कानून के हाथ बहुत लंबे होते हैं। अपराधी चाहे जहां चला जाए एक ना एक दिन कानून उसे अपने शिकंजे में कस ही लेता है। ऐसा ही एक मामला बलिया से सामने आया है। जहाँ डकौती की वारदात को अंजाम देने वाले 5 आरोपी को 28 साल बाद अदालत ने .दस-दस साल की सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। यह फैसला न्यायालय अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट संख्या एक चंद्रभानु सिंह एचजेएस की अदालत ने सुनाया। अभियुक्तों को पांच हजार रुपये के अर्थदंड से भी दंडित किया। अर्थदंड अदा न करने पर उन्हें छह माह का अतिरिक्त साधारण कारावास भुगतना होगा।
अभियोजन के अनुसार वादी मुकदमा कामता प्रसाद सुनार ने लिखित प्रार्थना पत्र थानाध्यक्ष थाना नरहीं जिला बलिया को दिया। पत्र में उसका आरोप था कि वह अपने पूरे परिवार के साथ अपने मकान के ऊपर वाले कमरे में सो रहा था। रात करीब दस बजे अचानक बाहरी छत वाले दरवाजे से रामनाथ सुनार व श्यामसुंदर सुनार और उनके साथ आठ-दस आदमी बंदूक, कट्टा, लाठी से लैस होकर घर में घुस आए। रामनाथ और श्याम सुंदर ने कहा कि इनका सब समान लूट लो। परिवार वालों ने प्रतिरोधगांव के लोगों ने डकैतों को घेरा तो डकैत लूटा हुआ माल लेकर गांव वालों पर फायर करते हुए भाग गए। फायरिंग में राम कीरत सिंह, राम सिंह, लालबाबू सिंह आदि को चोट आई। थाना नरही में मुकदमा दर्ज किया गया।

जब विवेचना के दौरान प्रकाश में आया नाम
बलिया। विवेचना के दौरान नामित अभियुक्त रामनाथ सुनार, श्यामसुंदर सुनार के साथ ही गणेश यादव, बरमेश्वर यादव, रामप्रवेश का भी नाम प्रकाश में आया। विवेचक द्वारा अभियुक्त रामनाथ सुनार निवासी अर्जुनपुर जिला बक्सर (बिहार), गणेश यादव निवासी इच्छा चौबे का पूरा थाना नरही, बरमेश्वर यादव निवासी नियाजीपुर थाना सिमरी, बक्सर (बिहार), रामप्रवेश निवासी अंजोरपुर थाना नरहीं, श्यामसुंदर सुनार निवासी मोहल्ला अर्जुनपुर थाना औद्योगिक क्षेत्र बक्सर (बिहार) के खिलाफ आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित किया गया।

ये-ये सजा हुई मुकर्रर
बलिया। न्यायालय ने गवाहों का बयान अंकित करने व साक्ष्यों का न्यायिक परिसीलन करते हुए अभियोजन की तरफ से अपर जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी अनिल कुमार पांडेय, वीरेंद्र कुमार सिंह, बचाव पक्ष की तरफ से अनिल राय, एचएन सिंह की बहस सुनने के उपरांत दोष साबित पाते हुए प्रत्येक अभियुक्त को दस-दस वर्ष के सश्रम कारावास व पांच हजार रुपये अर्थदंड से दंडित किया। अर्थदंड अदा न करने पर अभियुक्त गण को छह-छह माह का अतिरिक्त कारावास भुगतने की सजा सुनाई।

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