
बेरुआरबारी। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के स्वातंत्र्यवीर, प्रखर समाजवादी चिंतक, पूर्व सांसद स्व0 गौरीशंकर राय व्यक्ति नहीं बल्कि एक संस्था थे। शोषित, वंचित तथा पीड़ित वर्ग के न्याय और समता की आजीवन लड़ाई लड़ने वाले राय साहब ने कभी अपने सामाजिक मूल्यों से समझौता नहीं किया। राय साहब अपने आप को आम जन जीवन से जोड़े रखें और आम जनजीवन की समस्याओं को दूर करने के लिए संघर्षरत रहे। उक्त बातें स्व0 गौरीशंकर राय की 32वीं पुण्यतिथि पर गौरीशंकर राय कन्या महाविद्यालय, करनई में आयोजित श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए प्रबंधक वीरेंद्र राय ने कही। श्री राय ने बताया कि उत्तर प्रदेश विधानसभा में सर्वप्रथम जनहित याचिका दाखिल करने वाले गौरीशंकर राय ही थे।


संयुक्त राष्ट्र संघ जैसे अंतरराष्ट्रीय क्षितिज पर पहली बार हिंदी में संबोधन में राय साहब की महती भूमिका रही। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ0 एस.पी. सिंह ने कहा कि वह युग पुरुष थे और बालिकाओं के शिक्षा को लेकर बहुत गंभीर और सजग थे। उप प्राचार्य डॉ0 राघवेंद्र प्रताप तिवारी ने राय साहब के सूत्र वाक्य के बारे में बताया कि महिलाओं की शिक्षा, सहजता और स्वतंत्रता किसी भी समाज के विकसित और प्रगतिशील होने का असली मानक है, इसलिए इस आधी आबादी को शिक्षित कर मुख्यधारा से जोड़ने की महती आवश्यकता हैै। महाविद्यालय के शिक्षण एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के साथ-साथ उपस्थित छात्राओं ने भी राय साहब को श्रद्धा सुमन अर्पित किया। श्रद्धांजलि सभा में प्रमुख रूप से डॉ0 वीरेंद्र यादव, डॉ0 अखिलेश गुप्ता, डॉ0 संध्या सिंह, सुजीत कुमार राय, नेहा पांडे, रिया राय, ब्यूटी पांडे, डॉ0 पवनेश कुमार तिवारी, डॉ0 नूर आलम, सुभाष राय इत्यादि उपस्थित रहे संचालन अंकित चौबे ने किया।
