
बलिया। भारत के सर्वाेच्च न्यायालय द्वारा समलैंगिकता को लेकर जो याचिका सुनवाई के लिए स्वीकार की गई है वह बहुत ही निंदनीय है। केवल भारत ही नहीं समस्त विश्व का मानवीय जगत इस से पीड़ित है। यह याचिका किसी भी प्रकार से सुनवाई के योग्य नहीं थी। भारत में रहने वाला प्रत्येक समाज चाहे वह हिंदू सनातन हो, इस्लाम के अनुयाई हो, ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन सभी इसकी घोर निंदा करते हैं, विरोध करते हैं। यह एक अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र है जो मानवीय मूल्यों, संस्कृति, सभ्यता, पर आधारित समाज की परिकल्पना को तहस-नहस करना चाहता है। अगर समलैंगिक विवाह को कानूनी जामा पहनाया जाता है तो इससे निंदनीय कुछ नहीं। हो सकता है परिवार नाते-रिश्ते समाज की अवधारणा ही समाप्त हो जाएगी। समलैंगिक व्यवहार अप्राकृतिक है। प्रकृति अर्थात् परमात्मा ने भी इसकी रचना नहीं की है। जीव-जंतु, पशु जगत में भी यह व्यवहार नहीं होता। जिस प्रकार से भारत का सर्वाेच्च न्यायालय लिव इन रिलेशन तथा समलैंगिक विवाह संबंध जैसे अमानवीय और अप्राकृतिक विषयों में अभिरुचि दिखा रहा है वह कहीं से भी ठीक नहीं है। विश्व हिन्दू परिषद इसकी घोर निंदा करता है और मांग करता है कि सर्वाेच्च न्यायालय इस प्रकार की याचिका को तत्काल खारिज करें। उक्त बातें प्रान्त सह मंत्री, विश्व हिन्दू परिषद, बलिया मंगल देव चौबे ने संगठन द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा। उन्होनें कहा कि इससे पहले भी जिस प्रकार से लिव इन रिलेशन को अधिकार दिया है, वह भी मनुष्य को मानवता और मनुष्यता से तथा समाज को सामाजिक जीवन मूल्यों से नष्ट भ्रष्ट कर राक्षसी और अमानवीय बनाने का प्रयास है। विश्व हिन्दू परिषद मांग करता है कि सर्वाेच्च न्यायालय को इस निर्णय को तत्काल प्रभाव से वापस लेना चाहिए। इस अवसर पर जिला कार्याध्यक्ष सुनील कुमार, जिला मंत्री भानु तिवारी, मीडिया प्रभारी अरूण सिंह सहित अन्य कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

