Ballia : यहां कागजो में आईटीआई का बिना पढ़े मिल रहा डिप्लोमा


बैरिया।
फिल्मों में मुन्ना भाई एमबीबीएस देखने को मिला था, लेकिन यहां तो कागजो में आईटीआई का डिप्लोमा बिना पढ़े मिल रहा है। कागजो में बिना शिक्षक संचालित कक्षा राजकीय आईटीआई संस्थान इब्राहिमाबाद का विगत कई वर्षों से आदत बन गया है। मौके पर आपको अध्यापक नहीं मिलेगें और न ही छात्र-छात्राएं। करोड़ों रुपए की लागत से बने भव्य भवन, बेहतर प्रयोगशाला सब कुछ शिक्षकों के अभाव में निरर्थक साबित हो रहा है। बता दे कि उत्तर प्रदेश सरकार के उन तत्कालिन भाजपा विधायक भरत सिंह द्वारा उक्त आईटीआई भवन निर्माण का शिलान्यास किया था और जब मंत्री बने थे तब उनके द्वारा ही लोकार्पण किया गया था। सब कुछ सरकार ने यहां व्यवस्था दे डाली है। बावजूद इसके विभागीय अधिकारियों और यहां तैनात शिक्षकों के मनमानी के चलते यह आईटीआई संस्थान बिल्कुल बेमतलब साबित हो रहा है। गौरतलब है कि यहां इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स, मैकेनिकल, फीटर, वेल्डर, स्टेनोग्राफर व फैशन डिजाइन की पढ़ाई की व्यवस्था सरकार द्वारा की गई है, जिसके लिए 10 शिक्षकों का पद यहां के लिए स्वीकृत है। जिसके सापेक्ष में केवल वेल्डर के दो शिक्षक तैनात हैं। इस संस्थान के दुर्व्यव्यवस्था के लिए कौन जिम्मेदार है? इसको लेकर स्थानीय लोग अपने-अपने तरफ से व्याख्या कर रहे हैं। कुल मिलाकर यहां नामांकन को लेकर मारामारी है। किंतु पढ़ाई के नाम पर सब कुछ शून्य है। लोगों का कहना है कि न तो यहां कक्षाएं संचालित होती हैं। नहीं प्रयोगशाला चलता है। नहीं छात्र-छात्राएं आते हैं। शिक्षकों का पद खाली है। जो तैनात है वह भी नहीं आते हैं। वह कभी कभार ही आईटीआई संस्थान में आते हैं। गणित पढ़ाने के लिए अनामिका मिश्रा की तैनाती है व प्रभारी मनोज कुमार सिंह हैं। जिनसे पूछने पर की पढ़ाई क्यों नहीं होती है। व्यवस्था की बात करने लगते हैं। वहीं तत्कालीन स्टोर कीपर की मौत के बाद अभी तक स्टोर का चार्ज भी हस्थानांतन्तरित नहीं हुआ है। कुल मिलाकर यह आईटीआई संस्थान ऊंची दुकान फीकी पकवान की कहावत को चरितार्थ कर रहा है, लेकिन यहां प्रत्येक वर्ष मुन्ना भाई आइटीआई निकल रहे है।

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यहां शिक्षकों का है अभाव
यहां अधिकांश पदों के शिक्षकों का अभाव है। यातायात का साधन नहीं होने के कारण छात्र-छात्राएं कम आते हैं। शिक्षको के तैनाती के लिए अधिकारियों को पत्र भेजा गया है। जल्दी सब कुछ ठीक हो जाएगा। शिक्षकों की कमी से व्यवस्था गड़बड़ है यह कहने में कोई परहेज नहीं है।

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