राजकुमार यादव
बलिया। जूना अखाड़ा के रामेश्वर गिरि महाराज ने कहा कि भारत की भूमि साधु, संतों की भूमि है। ईश्वर एक है हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सबका मालिक एक है। उन्होंने कहा कि मनुष्य तन ईश्वर का दिया हुआ स्वरूप है, इसे व्यर्थ न गवाना चाहिए। प्राकृतिक से सामंजस्य स्थापित बनाये रखने के लिए मनुष्य को नियमित रहना चाहिए। उसके सजने, सवरने और रक्षा करना मानव का धर्म है। मुनष्य तन ईश्वर का दिया हुआ स्वरूप है वह लोक कल्याण करने के लिए मिला है, इसे अच्छे कर्माें में लगाना चाहिए। त्याग, तपस्या ईश्वर में दो मिनट समय निकालकर भगवान की चरणों में व माता-पिता के चरणों में समर्पित करना चाहिए। यह संस्कार आने वाले पीड़ि का हमेशा मार्गदर्शन करेगा। श्री गिरि ने कहा गृहस्थ आश्रम में रहकर भी आप संत है। दीन, दुखियों, पीड़ितों, असहायों साथ ही साधु-संतों व माता-पिता का सेवा करना मानव धर्म की पहली पूंजी है।