
समय पूर्व जन्मे बच्चों/कम वजन के शिशुओं के लिए है वरदान
बलिया। नवजात शिशु में अपने शरीर के तापमान को सुदृढ़ रखने की क्षमता (थर्माेरेगुलेशन) अन्य लोगों से कम होती है और अगर नवजात समय पूर्व/कम वजन का हो तो यह क्षमता और ज्यादा कमजोर होती है। जिससे कमजोर नवजात शिशु चिकित्सकीय भाषा में हाइपोथर्मिया से ग्रसित हो जाते हैं। हाइपोथर्मिया से ग्रसित होने के कारण कई अन्य स्वास्थ्य जटिलताएं बढ़ने की संभावना रहती हैं और यह जानलेवा भी हो सकता है। लेकिन इस गंभीर समस्या का निदान आसानी से घर व अस्पताल में भी किया जा सकता है। जिसके लिए कंगारू मदर केयर (केएमसी) थेरेपी काफी असरदार साबित है। कंगारू मदर केयर के तहत मां या घर का कोई भी सदस्य नवजात को अपनी छाती से चिपका कर नवजात को अपने शरीर की गर्मी प्रदान करते हैं और उसे हाइपोथर्मिया से ग्रसित होने से बचा सकते हैं।
इनसेट
कमजोर नवजात शिशु के लिए है आवश्यक
जिला महिला अस्पताल स्थित प्रश्वोत्तर केंद्र पर तैनात वरिष्ठ नवजात शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञ डॉ सिद्धार्थ मणि दुबे ने बताया कि जो नवजात शिशु ढाई किलोग्राम से कम वजन के पैदा होते हैं उन्हें कमजोर नवजात शिशु की श्रेणी में रखा जाता है। ऐसे शिशुओं को सघन देखभाल की जरूरत होती है। इस स्थिति में कंगारू मदर केयर काफी असरदार प्रक्रिया होती है। इससे नवजात को हाइपोथर्मिया से बचाने के साथ-साथ नवजात में वजन वृद्धि, बेहतर शारीरिक विकास भी देखा जाता है।
इनसेट
कंगारू मदर केयर के अन्य फायदे
केएमसी देने से मां की कन्हर (प्लेसेंटा) जल्दी बाहर आ जाता है जिससे रक्तस्राव काम होता है। बच्चों को जल्दी सीने से लगाने से मां का दूध जल्दी उतरता है, नवजात शिशु स्वयं को सुरक्षित महसूस करता है। नवजात का बेहतर शारीरिक और मानसिक विकास होता है। मां और बच्चे के बीच भावनात्मक जुड़ाव बढ़ जाता है।
कंगारू मदर केयर देते वक्त इन बातों का रखें ध्यान
-कंगारू मदर केयर शिशु की मां के अलावा घर कोई अन्य सदस्य भी दे सकता है।
-केएमसी प्रदान करने वाले व्यक्ति को हर बार थेरेपी देने के पूर्व अपनी छाती को साफ रखना आवश्यक है।
-केएमसी थेरेपी देने के लिए अर्धलेटी मुद्रा (सेमी रीक्लाईनिंग पोजीशन) सबसे उपयुक्त होती है।
-नवजात को पेट के बल केएमसी देने वाले के छाती के मध्य स्थलों के बीच लेटाएं और यह सुनिश्चित करें कि उसका शरीर थेरेपी देने वाले व्यक्ति के शरीर को पूरी तरह से स्पर्श कर रहा हो।
-थेरेपी के वक्त नवजात के सिर पर टोपी, हाथ में दस्ताने, पैर में मोजे और लंगोट के अलावा उसके शरीर पर और कोई वस्त्र नहीं होना चाहिए।
-यह जरूर ध्यान रहे कि इस थेरेपी के वक्त बच्चे को सांस लेने में कोई दिक्कत ना हो रही हो।