
वैश्य समाज को एक मंच पर लाने की चल रही तैयारी
रोशन जायसवाल
बलिया। उत्तर प्रदेश की राजनीति में जायसवाल समाज भी पूर्ण रूप से अब अपनी संख्या बल दिखाएगा। वैसे, उत्तर प्रदेश में जायसवाल समाज की संख्या लगभग 95 लाख के आस-पास होगी। वहीं, लगभग सात से आठ करोड़ वैश्य समाज भी है। यूपी में वैश्य समाज का अगला निशाना क्या है? यह तो वक्त की बात होगी, लेकिन आगामी लोकसभा चुनाव में वैश्य समाज की भागीदारी अच्छी हो। इसको लेकर यूपी में ही नहीं, बल्कि पूरे देश के हर प्रदेश में महासम्मेलन की तैयारी पर मंथन चल रहा है। इसमें पूरे वैश्य समाज को एक मंच पर लाने की तैयारी है। इसकी शुरुआत बहराइच जिले से हो चुकी है। सितंबर में जायसवाल समाज के महाकुंभ में देश भर के हजारों की संख्या में जुटे जायसवाल समाज ने अपनी ताकत दिखाई। इसके के पीछे पूर्व मंत्री एवं विधायक अनुपमा जायसवाल का रोल जबरदस्त रहा है। महाकुंभ में डिप्टी सीएम केशव मौर्य सहित कई मंत्री भी शामिल हुए। जायसवाल समाज के ताकतवर नेता पत्रकार अजय जायसवाल बताते है कि सन 2000 में यूपी के मुख्यमंत्री रामप्रकाश गुप्त ने कलवार, कलार (जायसवाल) समाज को पिछड़ी जाति में शामिल किया था। प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने इस समाज को केंद्रीय पिछड़ा वर्ग सूची में शामिल किया था। श्री जायसवाल ने बताया कि यूपी में कलवार, कलार (जायसवाल) की संख्या लगभग 95 लाख है। पूरे देश में इनकी संख्या लगभग सात से आठ करोड़ है।
क्या कहते है अरविन्द गांधी
यूपी में वैश्य समाज की संख्या लगभग सात से आठ करोड़ है। यदि पूरे देश में गौर करें तो लगभग 35 से 40 करोड़ वैश्य समाज की संख्या होगी।
अरविन्द गांधी, राष्ट्रीय अध्यक्ष, भारतीय वैश्य चेतना महासभा
यूपी में कलवार, कलार (जायसवाल) हर क्षेत्र में आगे है। हर कार्यक्रम में पूरी मजबूती के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज कराते है। यूपी में जायसवाल समाज पूरी ताकत के खड़ा है। यह समाज सामाजिक कार्यों में भी सबसे आगे खड़ा रहता है।
सुरेन्द्र जायसवाल, अध्यक्ष, जायसवाल सर्ववर्गीय महासभा उप्र