नोडल अधिकारी लगातार कर रहे हैं समीक्षा, सीएमओ की दी नसीहत

 

बलिया डेस्क। शासन की ओर से बतौर नोडल अधिकारी आए पीडब्ल्यूडी सचिव रंजन कुमार व ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण के सीईओ सुजीत कुमार पिछले चार दिनों में जिले में हैं। दोनों अधिकारी कोरोना पर अंकुश लगाने के प्रयासों की लगातार समीक्षा कर रहे हैं। इसके अलावा फील्ड में उतर कर देख रहे हैं कि निर्धारित प्रोटोकॉल का पालन हो रहा है या नहीं।

मंगलवार को भी दोनों नोडल अधिकारियों ने कलेक्ट्रेट सभागार में प्रशासनिक व स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों संग बैठक की। सैम्पलिंग व प्राप्त रिपोर्ट से सम्बंधित डेटा की जानकारी ली। कुछ मरीजों से फोन से बात कर मिलने वाली सुविधाओं का सत्यापन किया। होम आइसोलेट कई मरीजों ने बताया कि डॉक्टर्स से रोजाना बात नहीं होती है। रसड़ा क्षेत्र की पॉजिटिव एक किशोरी से ऑक्सीजन लेवल संबंधी पूछताछ की तो 92 बताई। इस पर नोडल अधिकारी ने तत्काल उसके यहां डॉक्टर्स की टीम भेजने को कहा। हालांकि, महज 15 मिनट में वहां पहुंचे डॉक्टरों ने मापा तो ऑक्सीजन लेवल 99 दिखा। सीएमओ को निर्देश दिया कि पॉजिटिव केस मिलते ही डॉक्टर की टीम तत्काल मरीज के सम्पर्क में आ जाए।
नोडल अधिकारी रंजन कुमार व सुजीत कुमार ने कहा कि पॉजिटिव मरीज के ठीक होने के बाद उसके घर का सेनेटाइजेशन कैसे करें, इसके लिए प्रोटोकॉल जारी कर दिया जाए। सेनेटाइजर का प्रयोग कब करना है और किन सावधानियों को बरत कर कोरोना से बच सकते हैं, इसका व्यापक प्रचार प्रसार कराएं। दुकानों पर जागरूकता सम्बन्धी मैटर छपवा कर दें और दुकानदार को भी आने वाले हर ग्राहक को जागरूक करने को कहें।

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सैम्पलिंग से पहले ऑनलाइन विवरण होगा दर्ज

डिप्टी कलेक्टर सर्वेश यादव ने बताया कि एक प्रारूप तैयार कर सभी एमओआईसी के यहां लिंक भेज दिया गया है, जिस पर एक क्लिक कर सैम्पलिंग से पहले ऑनलाइन फीडिंग करनी है। यह ऐसी आसान प्रक्रिया है जो महज एक मिनट से भी कम समय में किया जा सकेगा। उसका फायदा यह होगा कि फीडिंग होने के बाद जिला स्तर पर तत्काल देखा जा सकेगा और आसानी से सैम्पलिंग की हर समय की गतिविधि पर नजर रखी जा सकेगी। ऑफलाइन व ऑनलाइन दो बार फीडिंग नहीं करनी पड़ेगी, जिससे समय की बचत होगी। दोनों नोडल अधिकारियों ने डिप्टी कलेक्टर सर्वेश के इस तकनीकी कार्य की तारीफ की।

दिखाया गलत लक्षण, सीएमओ की लगाई क्लास

रंजन कुमार ने सैम्पलिंग सूची से एक नंबर लिया और उस पर फोन लगाया। उन्होंने सीधे मरीज का नाम लिया तो पाया कि वह मरीज का नहीं, बल्कि आशा बहू का नंबर है। फीडिंग में डॉक्टर द्वारा लक्षण के रूप में बुखार लिखा गया है, जबकि आशा बहू ने बताया कि डिलीवरी होने से सामन्यतया यह जांच कराई गई। बुखार आदि जैसा कोई लक्षण है ही नहीं। इस पर उन्होंने सीएमओ की तगड़ी क्लास लगाते हुए कहा, यह सुनिश्चित कराएं कि ऐसी गलती डॉक्टर्स द्वारा न हो। आज ही सभी डॉक्टरों से बातचीत कर उन्हें ट्रेंड कर दें।

मरीज के पास जाएं तो पीपीई किट पर लिखें डॉक्टर

नोडल अधिकारियों ने एल-1 में भर्ती कुछ मरीजों से बातचीत कर वहां की सुविधाओं का सत्यापन किया। वीडियो कॉल पर एक मरीज ने बताया कि साफ-सफाई में और सुधार की जरूरत है। यह भी बताया कि पीपीई किट पहन कर अंदर आने वाला स्वास्थ्यकर्मी समझ में नहीं आता है कि डॉक्टर है, फार्मासिस्ट है या स्वीपर। इस पर नोडल अधिकारी रंजन कुमार ने कहा कि चिकित्सक अपनी पीपीई किट पर डॉक्टर लिख कर ही अंदर जाएं।

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एल-2 में सर्जरी व प्रसव व सर्जरी की भी हो सुविधा

नोडल रंजन कुमार ने एल-2 फैसिलिटी सेंटर के बारे में जानकारी ली। सही ढंग से एल-2 की कार्ययोजना नहीं बना पाने पर सीएमओ को कड़े शब्दों में हिदायत दी। एक बार फिर समझाया कि कैसे चार्ट व अन्य विवरण तैयार करना है। बताया गया कि एल-2 में 18 डॉक्टर, 36 नर्स और इतने ही स्वीपर की आवश्यकता है। नोडल अफसर ने इसमें सर्जन नहीं रखने पर सवाल किया। कहा, एल-2 फैसिलिटी सेंटर में गम्भीर केस में ही मरीज का इलाज होगा। ऐसे में सर्जरी या प्रसव की सुविधा भी जरूरी है। बैठक में डीएम एसपी शाही, सीएमओ डॉ जितेंद्र पाल, चिकित्साधिकारी सिद्धार्थमणि दूबे, डीपीएम आरपी यादव आदि मौजूद थे।

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