
बलिया। अपनी विभिन्न मांगों को लेकर अखिल भारतीय प्रधान संगठन द्वारा प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा गया। इस दौरान प्रधानों ने कहा कि रमाबाई अम्बेडकर मैदान में 28 अक्टूबर को 40,000 से अधिक प्रधानों की महारैली के माध्यम से अपनी मांगों को सरकार के समक्ष रखा गया था, जिसके क्रम में प्रधानों को लखनऊ बुलाकर मुख्यमंत्री द्वारा विभिन्न घोषणाएं की गयी थीं, जिन पर लोकहित में तत्काल अमल किया जाना आवश्यक है। राष्ट्रीय अध्यक्ष जितेन्द्र चैधरी ने कहा कि सहायक सचिव कम डाटा एंट्री ऑपरेटर, शौचालय केयरटेकर एवं प्रधान के मानदेय की व्यवस्था राज्य सरकार द्वारा अलग से करने का वादा मुख्यमंत्री द्वारा किया गया था। वहीं रजिस्टर्ड डिप्लोमा होल्डर अथवा जनपद में नियुक्त किसी भी तकनीकी सहायक से स्टीमेट बनवाने की छूट का प्राविधान करने, जिले के प्रधानों, क्षेत्र पंचायत सदस्यों एवं जिला पंचायत सदस्यों की सहभागिता में पंचायतों से जुड़ी समस्याओं के समाधान करने, जिला योजना समिति में प्रधानों को प्रतिनिधित्व देने, मनरेगा द्वारा संपादित कार्यों का भुगतान 15 वाॅ वित्त आयोग के धन से होने वाले भुगतान की तरह प्रधान और सचिव के संयुक्त हस्ताक्षर से ग्राम स्तर पर ही किए जाने का प्राविधान का आश्वासन दिया जिससे जल्द स जल्द पूरा किया जाए। घनश्याम यादव पूर्वी उप्र अध्यक्ष ने कहा कि वर्ष 1993 में पारित 73वें संविधान संशोधन विधेयक के तहत 29 विषय व उनसे जुड़े अधिकार, कोष, कार्य और पंचायत कर्मियों को पंचायतों को सौंपकर सत्ता विकेंद्रीकरण की आदर्श व्यवस्था लागू की जाए। नयी नगर पंचायतों के सृजन तथा विस्तारीकरण के नाम पर 5 वर्ष के लिए निर्वाचित प्रधानों को अपदस्थ किया जाना किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं है। राज्य वित्त आयोग व प्रशासनिक सुधार आयोग की समस्त प्रमुख सिफारिशों को उत्तर प्रदेश में लागू किया जाए।