
उरई क्षेत्र में एक गेस्ट हाउस में जयमाल मंच था, जयकारों के साथ दुल्हन को वरमाला डालने वाले दुल्हा के धनुष भंग का आयोजन किसी इवेंट कंपनी ने नहीं बल्कि कस्बे के लोगों ने किया। धनुष भंग करके शादी का रस्म आगे बढ़ा। धीरे-’धीरे अब धार्मिक परंपराएं शादी विवाहों की तरफ बढ़ चला है। यह दृश्य उस गांव का था जिस गांव में ंसजे खडे दुल्हे के हाथ में सुसज्जित धनुष है। चारों ओर ग्रामीणों की मंडली रामचरित मानस के सीता विवाह प्रसंग का मधुर पाठ कर रही हैं। देशी वाद्यों का संगीत इसे और कर्णप्रिय बना रहा है। इसी बीच दुल्हा धनुष भंग करता है और जयकारों से पूरा पंडाल गूंज उठता है। इसके बाद शादी संपन्न होता है।

