Ballia : परंपरा के अनुसार मना सतुआन पर्व, लोगों ने किये दान

बलिया आजकल से अरविंद पाठक,
लालगंज।
उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में 14-15 अप्रैल को सतुआन पर्व मनाया जाता है। यह ग्रीष्म ऋतु के स्वागत का पर्व है, इस दिन सूर्यदेव राशि परिवर्तन करते हैं। सूर्य उत्तरायण की आधी दूरी तय करते है। इसलिए इसे मेष संक्रांति भी कहते हैं। सतुआन के दिन सत्तू खाने की परंपरा बहुत पुराने समय से रही है। परंपरा के अनुसार क्षेत्र के शिवपुर घाट व सती घाट पर सैकड़ो की संख्या में श्रद्धालु गंगा स्नान किए और वही पर भिक्षुओ को दान किए। घर आकर पंडितों के लिए सत्तू गुड़ का दान कर कुछ लोग आम की टिकोढे के चटनी के साथ सत्तू का सेवन किए तो कई लोग जौ की सत्तू व गुड़ का सेवन किए।

मुरारपट्टी निवासी पंडित मिथिलेश जी बताते है कि ये दिव्य पर्व सतुआन, जो गर्मी के आ जाने की घोषणा करता है और बताता है कि अब मौसम तेजी से गर्म होगा, आने वाले दिनों में नौतपा होने वाला है, जब खेतों की मिट्टी बिल्कुल सूखकर कड़ी हो जाएगी। मनुष्य जब गर्मी से त्रस्त हो जाएगा, तो ऐसे में सत्तू ही एक ऐसा खाद्य पदार्थ है जो शीतलता दे पाएगा। बताते है कि आज के दिन गंगा स्नान कर पितरों का तर्पण व दान करने का बहुत बड़ा महत्व है।

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