Ballia : सरयू नदी का जलस्तर बढ़ने से लोगों में दहशत


रेवती।
सरयू नदी के जलस्तर में तेजी से बढ़ाव होने के कारण घाघरा तटबन्धीय इलाकाई लोगों के माथे पर चिन्ता की गहरी लकीरें खिंचने लगी है। प्रति घंटा 1 सेंटीमीटर से ऊपर की रफ्तार से नदी सरयू का बढ़ाव निरंतर जारी है। चांदपुर गेज पर नदी का जलस्तर खतरा बिन्दू 58 मीटर के सापेक्ष गुरुवार की सुबह 57.38 सेंटीमीटर पर पहुंच गया। खतरा बिन्दू से अठखेलियां कर रही नदी की लहरों को देख तटबंधीय इलाकाई लोग भयाक्रांत होने लगे हैं। करीब चार दशकों से नदी सरयू की प्रचंड लहरों से टक्कर लेते-लेते टीएस बन्धा कमजोर हो चुका है। तटबंधीय इलाकाई लोगों का कहना है कि नदी का बढ़ाव इसी क्रम में जारी रहा तो फिर बन्धे को बचाना मुश्किल हो जायेगा। अगर नदी का दबाव बन्धे पर बना तो उससे भी भयंकर मंजर यहां के लोगों को झेलना पड़ेगा।

ग्रामीणों ने कहा कि बाढ़ विभाग द्वारा नदी के बढ़ाव के साथ ही फ्लड फाइटिंग के नाम पर धनार्जन का कार्य शुरू कर दिया जाता है। नदी की तीव्र लहरों ने बीते दशकों में आधे दर्जन से अधिक गांव का अस्तित्व विहीन कर दिया है। शिवपुर, सेमरा, मांझा, नवकागांव (आंशिक), आसमानपुर आदि गांवों को नदी पहले ही अपने आगोश में ले चुकी है। यही नहीं सैकड़ों एकड़ भूमि को भी नदी ने अपने में समाहित कर लिया है। जिसकी वजह से कभी दूध के सागर के नाम से विख्यात घाघरा दियरांचल में पशुपालक इस धंधे से मुंह मोड़ कर या तो दूसरा धंधा कर लिए हैं अन्यथा अन्य प्रदेशों में प्राइवेट नौकरी करके अपना तथा अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं। घाघरा नदी के तीव्र कटान से विस्थापित आज भी टीएस बन्धे पर झुग्गी झोपड़ी लगाकर जान जोखिम में डालकर जीवन यापन करने को विवश हैं। नदी के बढ़ाव की वजह से अब पशुओं के चारे के लिए भी समस्या उत्पन्न हो गई है।

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