पौधरोपण के नाम पर जिला प्रशासन का दावा फेल, जनपद बलिया में चलता रहा खेल

बलिया। पेड़ व पौधे पर्यावरण संतुलन का आधार होते हैं। जिले को हराभरा बनाने के लिए पौधरोपण के नाम पर जिले में हर साल करोड़ों रुपये खर्च होते हैं, बावजूद जिले के वन क्षेत्रफल सिमट रहा है। नब्बे के दशक में 16000 हेक्टेयर से अधिक रहा वन क्षेत्रफल घटकर करीब 11000 हेक्टेयर रह गया है । जिम्मेदार अधिकारी सफाई दे रहे हैं कि वन क्षेत्र भले ही न बढ़ा हो लेकिन घना हुआ है।
जिले में हर साल लाखों पौधे रोपे जाते हैं। मगर वन क्षेत्रफल बढऩे के बजाय घटता जा रहा है। बीते कुछ वर्षों में हुये पौध रोपण पर गौर किया जाए तो 2007-08 से 2012-13 तक ग्राम पंचायतों के माध्यम से हर साल डेढ़ लाख पौधे रोपे गए। वर्ष 2009-10 में चलाये गये प्रदेशव्यापी अभियान में जिले ने केवल एक दिन में आठ लाख पौधे लगाने का रिकार्ड बनाया। साथ ही वन विभाग भी हर साल दो लाख से अधिक पौधे रोपने का दावा करता है। बावजूद जनपद का हरियाली न होना अपने आप में बहुत बड़ा सवाल है।

टोटल फारेस्ट कवर स्कीम भी फेल
बलिया। जनपद को हराभरा करने के लिये टोटल फारेस्ट स्कीम भी चली, बावजूद नतीजा सिफर ही रहा। वर्ष 2014-15 में इस योजना के तहत 1.5 करोड़ रुपये खर्च कर आठ लाख पौधे लगाने का दावा किया गया। वर्ष 2016-17 में 1050 हेक्टेयर में 22 लाख पौधे लगाने का रिकार्ड बनाने का दावा किया गया। इसी प्रकार वर्ष 2017-18 में 24 लाख पौधे रोपे गये। जबकि 2018-19 में 2 करोड़ रुपये के पौधे रोपे गये। जबकि 2019-20 में 1100 हेक्टेयर में 2.5 करोड़ के पौधे रोपे गये, उपरोक्त अभियान टोटल फारेस्ट कवर स्कीम के तहत चला बावजूद आज तक जनपद हराभरा न हो सका। हैरानी की बात है कि इतने बड़े पैमाने पर पौधे लगाने के बाद भी जिले की वन संपदा घट रही है।

इसे भी पढ़े -   Ballia : पास्को एक्ट का वांछित अभियुक्त गिरफ्तार

हरियाली लाने की योजना बना कमाई का जरिया
बलिया। विकास विभाग और वन विभाग के सूत्रों के मुताबिक पौध रोपण जमीन से ज्यादा कागजों पर हो रहा है। हरियाली लाने की यह योजना सरकारी कार्यदायी और गैर सरकारी संस्थाओं के लिए कमाई का जरिया बनीं हैं। रोपे गए पौधो को सूखने, टूटने और जानवरों से नष्ट होना दर्शा कर घालमेल पर पर्दा डाला जाता है।

 

सरकारी आंकड़ों में जिले की स्थिति:
– जिले का प्रतिवेदित क्षेत्रफल 454676
– वन क्षेत्रफल 16704 हेक्टेयर
– ऊसर भूमि 14986 हेक्टेयर
– कृषि अयोग्य 13127 हेक्टेयर
– परती पड़ी भूमि 67438 हेक्टेयर
– चरागाह क्षेत्रफल 3341 हेक्टेयर

Leave a Comment