Ballia : जयंती पर याद किये गये महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व पूर्व विधायक पं. राम अनन्त पाण्डेय
पं. राम अनन्त पाण्डेय का देश की स्वतंत्रता में महत्वपूर्ण और उल्लेखनीय रहा है योगदान
बलिया। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इस महान योद्धा का जन्म 23 सितम्बर 1904 को जनपद के ग्राम दलन छपरा के एक सभ्रान्त ब्राह्माण परिवार में हुआ था। वह मुख्तारी पेशे से जुड़े थे, लेकिन उसे छोड़कर सन् 1930 में गांधी के नमक सत्याग्रह आंदोलन प्रारम्भ होने पर कांग्रेस में शामिल हो गये। इसी समय नमक सत्याग्रह कार्यक्रम के अंतर्गत कांग्रेस कार्यकर्ता नमक की नीलामी कर रहे थे, किंतु ब्रिटिश हुकूमत के भय से जनपद में किसी की हिम्मत नमक खरीदने की नहीं हुई। पर अदम्य साहस का परिचय देते हुए उन्होंने 20 रुपये में नमक की नीलामी लेकर उस समय के राजनीतिज्ञों का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट कर लिया। आंदोलन में भाग लेने के कारण उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। इस दौरान वे एक साल जेल में रहे। 1935 से पाण्डेय जी फरार रहकर आजादी की लड़ाई को गति प्रदान करने लगे और बिहार के आरा जिला में स्थित मथमलपुर मठिया को अपना गुप्त अड्डा बनाकर विप्लव नामक पत्रिका के माध्यम से अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष तेज कर दिया। इसके बाद वे आगरा सेंट्रल जेल में बंद किये गए। उनके साथ वहां पर मैथिली शरण गुप्त भी थे। 1940 में महात्मा गाँधी ने व्यक्तिगत सत्याग्रह शुरू किया था। आचार्य विनोबा भावे को प्रथम सत्याग्रही घोषित किया गया था। जवाहरलाल दूसरे और ब्रह्मदत्त तीसरे व्यक्तिगत सत्याग्रही थे। बलिया से पं. राम अनन्त पाण्डेय को व्यक्तिगत सत्याग्रही चुना गया था। 17 दिसम्बर 1940 को महात्मा गाँधी द्वारा व्यक्तिगत सत्याग्रह स्थगित कर दिया गया। फिर इसे 1941 में शुरू किया गया था। इस दौर में पं. राम अनन्त पाण्डेय को अप्रैल 1941 में नजरबंद किया गया और दिसम्बर 1941 में रिहा किया गया था। अगस्त 1942 में आंदोलन को गति प्रदान करने के लिए उन्हें जिले का प्रथम डिक्टेटर नामित किया गया। जब भी पं. राम अनन्त पाण्डेय जी को याद किया जाएगा तो उनका 11 अगस्त 1942 बलिया चौक शहीद पार्क में सारगर्भित ओजस्वी संबोधन को भी याद किया जाएगा। जहां बीस हजार से अधिक लोगों की भीड़ को टिन के भोंपू से उन्होंने संबोधित किया था। अहिंसात्मक आंदोलन का निवेदन करते हुए अंग्रेजी प्रशासन को पंगु बनाने की बात कहा था। 19 अगस्त 1942 को जब बलिया आजाद हुआ तो पं. राम अनन्त पाण्डेय जी आजाद बलिया के पहले डिप्टी कलेक्टर बनाए गए थे। पाण्डेय जी जिला कांग्रेस संगठन में महत्वपूर्ण पदों पर रहे थे। 1942 में जिला कांग्रेस कमेटी के प्रधानमंत्री बनाए गए थे। 1948 में बलिया विकास बोर्ड के अध्यक्ष बनाए गए थे। सीतापुर नेत्र चिकित्सालय बलिया के संस्थापक रहे थे। टाउन हॉल एजुकेशनल सोसायटी के संस्थापक सदस्य रहे थे। सतीश चन्द्र महाविद्यालय बलिया के प्रबंधक रहे थे। पूर्णानंद इंटर कॉलेज दुबे छपरा बलिया के प्रबंधक रहे थे। महात्मा गांधी इंटर कॉलेज दलन छपरा के संस्थापक रहे है। उन्होंने और भी शिक्षण संस्थाएँ खोली थीं, जो कि आज भी अनवरत चल रही हैं। पं. राम अनन्त पाण्डेय जी को 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी के द्वारा ताम्रपत्र से नवाजा गया था। 1952-1957 तथा 1962-1967 तक बलिया सदर विधानसभा क्षेत्र के विधायक रहे। अपने कार्यकाल में अति महत्वपूर्ण कार्य कराए तथा समाज को स्वस्थ दिशा-निर्देश देते रहे। वह जीवन पर्यन्त ईमानदारी, सादा जीवन और उच्च विचार के प्रतिमूर्ति बने रहे।