Ballia : न्यायालयों के दो फाड़ होने से वकील आक्रोशित, विरोध में नहीं किए न्यायिक कार्य
प्रधान न्यायाधीश परिवार न्यायालय के दोनों कोर्ट जाने से सिविल एवं क्रिमिनल दोनों संगठन के अधिवक्ता आक्रोश में
बलिया। प्रधान न्यायाधीश परिवार न्यायालय समेत लगभग आधी अदालतों को भेजने के विरोध में सिविल बार एसोसिएशन के संगठन भवन में मीटिंग संपन्न हुई और फिलहाल दो दिनों तक न्यायिक कार्य नहीं करने और सब्जी मंडी में निर्मित न्यायालय में नहीं जाने का फैसला किया। सब्जी मंडी में चौदह कक्षीय भवन के नीचे कुछ अधिवक्ताओं द्वारा बैठने हेतु कुर्सी वह मेज रखे गए थे जिसे न्याय प्रशासन द्वारा हटवा दिया गया तथा अधिवक्ताओं द्वारा लिखे गए नामों को पुनः पेंट कराकर मिटवा दिया गया है, जिसके वजह से वकीलों में काफी आक्रोश व्याप्त है। मीटिंग के दौरान अधिवक्ताओं ने अपने-अपने उद्गार में कहा कि सब्जी मंडी में निर्मित न्यायालयों में अधिवक्ताओं को बैठने का कहीं उचित स्थान नहीं है सबसे ज्यादा परेशानी बुजुर्ग अधिवक्ताओं के लिए है, क्योंकि वहां से कोई भी आदेश पारित होता है तो उसकी नकल दस कक्षीय न्यायालय के नकल विभाग द्वारा ही जारी होगा। पत्रावलियों के मुआयना का आवेदन भी यही पड़ेगा, निगरानी एवं अपील यही से होगा तो वहां जाने का क्या मतलब है। क्या मतलब जब सारे महत्वपूर्ण कार्य इसी दस कक्षीय न्यायालय द्वारा संपन्न होगा। कुछ सवाल के जवाब में प्रधान न्यायाधीश परिवार न्यायालय के न्यायालयों की बात करते हुए पूर्व डीजीसी सिविल एवं वरिष्ठ अधिवक्ता बृजेश कुमार सिंह ने कहा कि जब उच्च न्यायालय को वहीं परिवार न्यायालय भेजना था तो इस दस कक्षीय न्यायालय में जनता की गाड़ी कमाई को क्यों खर्च किया गया और सारे व्यवस्था से लैस क्यों किया गया महिलाओं का मुकदमा उक्त कोर्ट में चलता है महिलाओं को सुरक्षा की दृष्टि से भी दस कक्षीय न्यायालय में ही रहना चाहिए यदि उच्च न्यायालय द्वारा ऐसा आदेश पारित किया गया है तो बिल्कुल अन्यायपूर्ण एवं महिलाओं के लिए परेशानी का सबब है वहां महिलाओं के लिए घनी आबादी में सुरक्षा की गारंटी वकील लेंगे की जज साहब कौन लेगा ? चौदह कक्षीय न्यायालय में महिलाओं के लिए कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है तथा दस कक्षीय न्यायालय में लगभग सारी सुविधा उपलब्ध है।
त्रिभुवन नाथ यादव एडवोकेट