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Ballia : निषाद पार्टी की संवैधानिक अधिकार यात्रा बना चर्चा का विषय


संजय निषाद का नेता व कार्यकर्ताओं ने किया जोरदार स्वागत
रेवती (बलिया)।
स्थानीय बस स्टैण्ड से निषाद पार्टी की संवैधानिक अधिकार यात्रा बुधवार को दोपहर करीब दो बजे से निकली। जैसे ही निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा कैबिनेट मंत्री डा. संजय निषाद रेवती पहुंचे तो पार्टी के वरिष्ठ नेता अजय शंकर पाण्डेय कनक के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने फूल माला से जोरदार स्वागत किया। इस दौरान कैबिनेट मंत्री विपक्षी दलों पर हमलावर दिखे। कैबिनेट मंत्री डा. संजय निषाद ने कहा कि ये बागी बलिया है, बगावत करने वाली बलिया है और देश को न्याय दिलाने वाली बलिया है। संविधान लागू करने वाली बलिया है।

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लूटेरों, बेईमानों को भगाने वाली बलिया है। कहा कि संविधान में सभी जाति, वर्ग, धर्म के लोगों को अधिकार दिया गया है। सबसे कमजोर जो लोग हैं, उन्हें आरक्षण की व्यवस्था दी गयी है। बड़े घोड़ा छोटे घोड़े का हिस्सा खा जायेगा, हम लोग छोटे घोड़े में थे। अंग्रेजों, मुगलों ने उजाड़ा। संविधान में मझवार, गोड़ तुरैहा आदि अनुसूचित जाति की सूची। दिल्ली के संविधान की सूची में हमारी जमीन, जायदाद, बहन, बेटी की इज्जत सुरक्षित है। निषाद की बेटी को ’रे’ बोलेगा, जायेगा जेल, उसको गलत नियत से देखेगा, जायेगा जेल, नहीं मिलेगा उसको बेल, लेकिन 1994 में उत्तर प्रदेश में सपा, बसपा, कांग्रेस ने हमारी जातियों को ओबीसी में डाल दिया। दूसरा एक अधिनियम बना दिया उत्तर प्रदेश में, तब सुप्रीम कोर्ट ने आर्डर कर दिया। राष्ट्रपति ने नोटिफिकेशन कर हमें एससी में रखा है। कहा कि दो सौ सीटें निषाद बाहुल्य हैं।

जहां बांसडीह में खाता नहीं खुलता था, निषाद पार्टी ने जीता। 11 सीटों में नौ सीट जीते हैं, ये निषाद हैं। ये अंग्रेजों, मुगलों को मार कर भगाया है। जिन्होंने इनका हिस्सा लूटा है, उन्हें भी सत्ता से बाहर किये हैं। भारतीय जनता पार्टी पहले कर रही है। हिस्सा लूटने वाले को सत्ता से बाहर करना और हिस्सा देने वाले को सत्ता में रखना है। कार्यक्रम में बांसडीह विधायक को नहीं होने के प्रश्न पर कहा कि विधायक कहीं होंगी। ये विधायक का कार्यक्रम नहीं है। विधायक बनाने वाले का कार्यक्रम है। सपा द्वारा वाराणसी में हनुमान जी के जाति प्रमाण पत्र द्वारा मांग प्रदर्शन पर कहा कि सपा जब सत्ता में थी, तब उसे कुछ याद नहीं आया। तब उन्हें न हनुमान जी याद आये न पिछड़े याद आये। अब सत्ता से बाहर हो गयी है तब उन्हें याद आ रहा है।

पुष्पेन्द्र तिवारी

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