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Ballia : सत्ता आयी और गई, नहीं बदली सिकंदरपुर की तस्वीर

रेलवे स्टेशन, रोडवेज एवं उद्योग-धंधे की उठती रही मांग
रोशन जायसवाल
बलिया।
सिकंदरपुर विधानसभा क्षेत्र की आबादी लगभग पांच लाख से अधिक है। 2011 की जनगणना के अनुसार इस क्षेत्र की आबादी तीन लाख 92 हजार थी। सिकंदरपुर की धरती ने कई दिग्गज नेताओं को जन्म दिया। लोग पूर्व सांसद जगरनाथ चौधरी, पूर्व एमएलसी सुदामा सिंह का नाम बड़े सम्मान के साथ लेते है। इसके बाद राजधारी सिंह मंत्री बने। वह भी इस क्षेत्र में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं करा पाये। 2002 में मो. रिजवी विधायक बने। 2003 से 2007 तक सपा सरकार रही, लेकिन वह इस क्षेत्र को विकास से नहीं जोड़ पाये। 2007 में बसपा से भगवान पाठक विधायक बने। 2007 से 2012 तक बसपा सरकार रही। इस सरकार में भी सिकंदरपुर की तस्वीर नहीं बदली, जबकि इसी क्षेत्र से बसपा सरकार में ताकतवर नेता छट्ठू राम भी थे। वह भी इस क्षेत्र के लिए कुछ नहीं कर पाये।
2012 में मो. रिजवी विधायक बने। 2012 से 2017 तक अखिलेश सरकार रही। इस सरकार में भी क्षेत्र का कायाकल्प नहीं हुआ, जबकि छह माह के लिए अखिलेश सरकार में मो. रिजवी मंत्री रहे। बावजूद इसके क्षेत्र की स्थिति जस की तस रही। 2017 में भाजपा से संजय यादव विधायक बने। 2017 से 2022 तक योगी सरकार रही और वर्तमान समय में भी है। इस सरकार में भी सिकंदरपुर में कुछ बेहतर नहीं हो सका है। मौजूदा समय में सपा के विधायक मो. रिजवी है और सांसद सपा के ही रमाशंकर राजभर है। क्षेत्र की जनता की माने तो सिकंदरपुर में उस वक्त रेलवे स्टेशन बनाने की मांग उठी, जब तत्कालीन रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव एक शादी समारोह में सिकंदरपुर पहुंचे हुए थे।

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उन्होंने घोषणा किया कि सिकंदरपुर रेलवे स्टेशन बनेगा। बकायदे सर्वे हुआ। बावजूद इसके यह क्षेत्रवासियों के लिए सपना बना हुआ है। भाजपा सरकार में संजय यादव विधायक रहे। इस क्षेत्र को न तो रोडवेज मिला और न ही बंद पड़े इत्र उद्योग को पंख लगे। गुरुवार को पूर्व विधायक भगवान पाठक एवं पूर्व मंत्री राजधारी सिंह सहित अन्य नेताओं से क्षेत्र के विकास के बाबत बातचीत की। सवाल यह था कि क्षेत्र के विकास में कहां से कमी रह गई? तो जबाब मिला कि प्रयास तो बहुत हुआ, लेकिन कामयाबी नहीं मिली। क्षेत्र में रोडवेज, रेलवे स्टेशन, मेडिकल कालेज, उद्योग-धंधे, बाईपास जैसी मांग उठती है।

परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह बलिया से ही है। इसके बाद भी सिकंदरपुर में रोडवेज नहीं बन पाया। सरकार की तरफ से बाईपास बनाने की बात हो रही है। यह लगभग चार किमी लंबा है। करमौता से पंदह तक बाईपास के निर्माण के लिए किसानों से भूमि ली जा रही है। इसके बन जाने से बलिया-गोरखपुर के सफर में लोगों को सहुलियत मिलेगी। बिजली वैसे ठीक है। पूर में स्पोर्ट्स कालेज बनाने की बात चल रही है।

सरकार में रहकर भी नहीं करा सकें विकास
बलिया। दो बार रविन्द्र कुशवाहा भाजपा से सांसद रहे। एक बार भाजपा से ही संजय यादव विधायक रहे। इस क्षेत्र में 2014 में नरेन्द्र मोदी भी आये थे। यहां से सभा करने के बाद वह देश के प्रधानमंत्री बने। आमजन की माने तो योगी आदित्यनाथ जब मुख्यमंत्री नहीं थे तो वह कई बार सिकंदरपुर क्षेत्र में आये। हिन्दू वाहिनी की तरफ से आयोजित कई कार्यक्रमों में शामिल हुए। मुख्यमंत्री बनने के बाद भी वह सिकंदरपुर आये। इसके बाद भी सिकंदरपुर की तस्वीर नहीं बदली। शासन-सत्ता में रहकर विधायक एवं मंत्री रहे नेता भी क्षेत्र में विकास की गंगा नहीं बहा पाये।

उम्मीद लगाये बैठी है जनता
बलिया। सिकंदरपुर विधानसभा क्षेत्र में विपक्ष के सांसद एवं विधायक है। ऐसी स्थिति में मोदी-योगी सरकार सिकंदरपुर विधानसभा क्षेत्र को विकास की धारा से जोड़ पायेगी। वैसे, इस क्षेत्र में पूर्व मंत्री, पूर्व विधायक, चेयरमैन के साथ ही छोटे-बड़े नेताओं की फौज खड़ी है। जनता इनसे उम्मीद लगाये बैठी है कि आज नहीं तो कल सिकंदरपुर विधानसभा विकास में सबसे आगे होगा। इससे बड़ी विडम्बना क्या हो सकती है कि डूहा बिहरा में 40 दिवसीय 108 कुंडीय महायज्ञ का आयोजन हो रहा है। मुख्य सड़क से मठ तक जाने के लिए लगभग सात किमी सड़क की हालत काफी खराब है। लोग किसी तरीके से यहां पहुंच रहे है।

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