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Ballia : जीवितत्पुत्रिका व्रत: जानें कब महिलाएं करेंगी नहाय खाय और पारण

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Girl in a jacket

बलिया। एक मां द्वारा अपने पुत्र की लंबी आयु और स्वस्थ जीवन का वरदान प्राप्त करने के लिए आश्विन महीने की कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को निर्जला और निराहार रहकर जीवित्पुत्रिका व्रत किया जाता है। मुख्य रूप से यह व्रत सुहागिन माताएं करती हैं और ऐसी महिलायें जिन्हे संतान नहीं है वो भी संतान प्राप्ति की इच्छा से जीवित्पुत्रिका व्रत करती हैं। आचार्य डा. अखिलेश कुमार उपाध्याय ने बताया कि इस बार जिउतिया व्रत 25 सितंबर को है और इसका पारण 26 सितंबर को सूर्योदय के बाद किया जाएगा।
व्रत के दिन महिलाएं भगवान जिउतवाहन की पूजा की जाती है। भगवान जिउतवाहन के साथ-साथ देवी और भगवान श्री कृष्ण की आराधना की जाती है। जीवित्पुत्रिका व्रत का पर्व कुल तीन दिनों तक चलता है और इसके अपने-अपने तीनो ख़ास दिन होते हैं। पहला दिन आश्विन महीने की सप्तमी को मनाया जाता है जिसे नहाई-खायी के नाम से जाना जाता है। नहाई-खायी के दिन महिलायें सुबह-सुबह ही स्नान करके सात्विक भोजन करती हैं और सूरज डूबने के साथ ही व्रत की शुरुआत हो जाती है। अगले दिन मुख्य जीवित्पुत्रिका व्रत का दिन होता है और माताएं इस दिन भोजन पानी के बिना कठिन उपवास रखती हैं और शाम के समय में किसी धार्मिक स्थान या नदी-तालाब के घाट पर सामूहिक रूप से पूजा-अर्चना का कार्य करती हैं। रात को बने पकवान में से पितरों, चील, सियार, गाय और कुत्ता का अंश निकाला जाता है। व्रत के अगले दिन सुबह स्नान करने के बाद पूजा आदि करके नोनी का साग, रागी की रोटी और तोरी की सब्जी खाकर व्रत खोला जाता है।

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