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Ballia : धूमधाम से मनाया गया बलिया स्थापना दिवस

बलिया। भृगुक्षेत्र मनोहर है बलिया, बलियाग रहा बहुकालन से, बलि राजन की नगरी तप की, अति शोभित है सब संतन से, अति पावन निर्मल देव नदी सरयू बहती दुई ओरन से, बड़ी पुण्यमयी बलि की नगरी, यह शोभित है भृग्वाश्रम से।
जिले 146 वें स्थापना दिवस पर शहीद पार्क चौक मे नगरपालिका परिषद अध्यक्ष संत कुमार गुप्त ने दीप प्रज्ज्वलित कर जिले के साहित्यकारों, सेनानी परिवार जनों ने जनपद स्थापना दिवस मनाया।

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इस अवसर पर इतिहासकार डॉ.शिवकुमार सिंह कौशिकेय ने बताया कि बलिया जिले की स्थापना ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी सरकार ने 01नवम्बर 1879 ईस्वी को की थी। नवगठित जिले के पहले कलेक्टर बने थे। 1871 बैच के आई.सी.एस अफसर मि. चार्ल्स विलियम विल्स वास्तव में मि. विल्स गाजीपुर जिले की सब डिवीजन/ तहसील बलिया के परगनाधिकारी थे। 24 अक्टूबर 1878 को वह यहाँ के परगनाधिकारी हुए थे और 01नवम्बर 1979 को बलिया के जिला बनने के बाद वह 03 नवम्बर 1879 को प्रथम कलेक्टर का पदभार ग्रहण किए थे। 20 अप्रैल 1880 तक वह इस पद पर रहे। यहां से इनका स्थानांतरण बदांयू हो गया था।
डॉ.कौशिकेय ने कहा कि जिले के दूसरे कलेक्टर बनें मिस्टर डी.टी.राबर्ट 1868 बैच के आई.सी.एस अफसर मि. राबर्ट ने 25 अप्रैल 1880 को पदभार संभाला था। बलिया गजेटियर से लेकर बलिया जिले के पौराणिक ऐतिहासिक, पुरातात्विक महत्व की जानकारी जुटाने और इस जिले को पूरी मेहनत से सजाने का काम इसी दूसरे ब्रिटिश मूल के आई.सी.एस अफसर मिस्टर डेविड थॉमसन राबर्टस् ने किए हैं। इसीलिए ज्यादातर लोग इनको ही बलिया का पहला कलेक्टर कहते हैं। बलिया से इनके लगाव के बारे में इस बात से समझा जा सकता है कि अपने बेटे और पत्नी के साथ इनकी कब्र आज भी वर्तमान इनके द्वारा स्थापित टाऊन इण्टरमीडिएट कॉलेज बलिया के ठीक पीछे टी.डी.कॉलेज के मैदान में दक्षिण-पूर्व कोने पर विद्यमान है, मिस्टर डी.टी.राबर्टस् के बाद बलिया के तीसरे कलेक्टर 1865 बैच के आई.सी.एस अफसर मिस्टर अलेक्जेंडर राबिन्स 1985 में बने। मिस्टर डी.टी.राबर्टस् के साथ मिलकर इन दोनों लोगों ने आजमगढ, गाजीपुर और बलिया का रिवीजन ऑफ रेवेन्यू सेटलमेंट का काम पूरा किया था।
समारोह मे डॉ. बीएन गुप्ता , डॉ. गणेश कुमार पाठक, सेनानी उत्तराधिकारी संगठन के जिलाध्यक्ष महेन्द्र सिंह, कुॅवर सिंह इण्टरमीडिएट कॉलेज के प्रधानाचार्य शशिप्रेमदेव, डॉ. जनार्दन चतुर्वेदी, डॉ. भोला प्रसाद आग्नेय, अजीत सिंह, धीरेन्द्र शुक्ल, अशोक पाठक, फतेहचंद बेचैन, छोटेलाल प्रजापति, पंकज कुमार, मंटू, करन आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

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