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Ballia : गुरु बनाने से पहले उसे परखो, समझो, तब गुरु बनाओं : स्वामी ईश्वर दास ब्रह्मचारी


जयप्रकाश बरनवाल
बेल्थरारोड (बलिया)।
अद्वैत शिव शक्ति महायज्ञ एवं हनुमान महोत्सव के चौथे दिन गुरुवार को अद्वैत शिवशक्ति परमधाम डूहां मठ के परिवज्रकाचार्य स्वामी ईश्वर दास ब्रह्मचारी ने कहा कि गुरु बनाने से पहले उसे परखो, समझो, तब गुरु बनाओं, ऐसा न हो कि बाद में पछताना पड़े। उस होने वाले गुरु के पास बार-बार जाओं और उसे टटोलते रहो। फिर उसकी परख सामने आ जायेगी। आज ऐसे गुरु भी है कि उनके फर्जी जाल फरेब में कितने लोग आ गये है और ऐस गुरु जो जेल की रोटी खाने को मजबूर हैं। आगे कहा कि अच्छे कार्यांे में बाधा आती है कोई सहयोग भले न करें किन्तु वह व्यवस्था पर टिप्पणी जरुर करता है।

इसकी चिन्ता किये बगैर भगवद् कार्य को करते रहना चाहिए। वह काम अन्ततः पूरा होकर रहता है। यज्ञ करना हमारा कर्तव्य नहीं बल्कि धर्म भी है। धर्म में सब कुछ प्रतिष्ठित है यज्ञ से बाहर कुछ नही है। यज्ञ परमात्मा का स्वरुप है। कहा कि जहां भगवान की अलौकिक कथा होती है, वहां सभी देवी-देवता, ऋषि मुनि, नर-नारी सभी पहुंचते हैं किन्तु वहां हनुमान जी जरुर पहुंचते हैं। हनुमान जी मान-सम्मान को तिलांजलि देकर कथा सुनते है। उन्हें कभी अपने पद अभिमान नही रहा। ऐसे में हमें भी अपने मन को शांत मुद्रा में कथा को श्रवण कर उस पर अमल करनी चाहिए। पं0 प्रवीण कृष्ण जी महाराज ने भगवान जगन्नाथ की कथा सुनाते हुए कहा कि कर्मा बाई ने बिना स्नान किये खिचड़ी बनाकर भोग लगाने का वरदान प्राप्त हो गया था।

इसलिए कि बच्चा के रुप में भगवान प्रतिदिन प्रातः में सूरज उगने के पहले भूख को लेकर खाने चला आता था। इस प्रसंग पर एक गीत की प्रस्तुति भी की थी। इस बात को भी जोड़ा कि स्निान के बिना हम अपवित्र बने रहते है। भक्ति ही भगवान को प्राप्त करने का सबसे उत्तम साधन है। हम सबसे पहले आप सरल सरल व शीतल बन जांय। यहीं भक्ति का मूल मार्ग है। अंत में भगवान राधे कृष्ण की भजन सुनाया, जिस पर सभी श्रोता झूम उठे। इस मौके पर गुरुदेव की आरती, पूजन व अर्चन सम्पन्न हुई। यज्ञ मण्डप की नियमित तौर पर नर नारियों को परिक्रमा करते पाया गया। कथा के अंत में विशाल भोज का प्रसाद भक्तों ने ग्रहण किया।

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