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Ballia : चरौंवा बलिदान दिवस: अंग्रेजों की गोलियों से चार हुए थे शहीद

बलिया। अगस्त क्रांति के अमर शहीद मंगला सिंह का जन्म 1892 में बलिया के बिल्थरारोड के चरौंवा गांव में हुआ था। 1942 की अगस्त क्रांति अंग्रेजों भारत छोड़ों आंदोलन के दौरान बलिया जिले की जनता ने ब्रितानी हुकूमत से सत्ता छीनकर स्वराज सरकार की स्थापना कर लिया था। बलिया जिले पर पुनः ब्रिटिश साम्राज्य की सत्ता स्थापित करने के लिये कैप्टर मूर के नेतृत्व में पहुंची ब्रिटिश फौज का प्रतिकार करते हुए 24 अगस्त 1942 को चरौंवा गांव में शहीद हुए थे। इसी क्रम में शहीद खरबियार का जन्म 1922 में बलिया जिले के बिल्थरारोड के चरौंवा गांव में हुआ था। इनके पिता का नाम धनई था। 1942 क्रांति के दौरान जिले में अंग्रेजी हुकूमत का सामना करते हुए स्वराज सरकार की स्थापना कर लिया था। कैप्टन मूर के नेतृत्व में पहुंची ब्रिटिश हुकूमत के फौज की गोलियों का प्रतिकार करते हुए लाठी और बांस की बनी खचिया से करने का असफल प्रयास किया। 24 अगस्त 1942 को अंग्रेजों की गोलियों को रोकते हुए शहीद हो गये थे। अमर शहीद शिवशंकर सिंह 1918 में बलिया के बिल्थरारोड के चरौंवा गांव मंें हुआ था। उनके पिता का नाम लालजी सिंह था। अगस्त क्रांति आंदोलन में अंग्रेजों का मुकाबला करते हुए शहीद हो गये। अमर शहीद अतवारू भर का जन्म 1920 में हुआ था। 1942 के अगस्त क्रांति में अंगेजों का सामाना करते हुए उनकी गोलियों से 23 अगस्त 1942 को शहीद हो गये थे। अमर शहीद मकतूलिया मालिन 1888 में चरौंवा में जन्म हुआ था। अंग्रेजों ने उन्हें गोलियों से भून दिया था। इस प्रकार यह वीरांगना 24 अगस्त 1942 को चरौंवा गांव में शहीद हो गयी थी। यह बातें इतिहासकार शिवकुमार कौशिकेय ने बताया।

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