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Ballia : पटरियां उखाड़ क्रांतिकारियों ने रेलवे स्टेशन में लगा दी आग

चितबड़ागांव शहीद दिवस
अम्बरीश महादेव,
बलिया।
16 अगस्त 1942 को क्रांतिकारियोें ने अंग्रेजी फौज से बंदूकें छीनकर रेलवे लाइन की पटरियां उखाड़ते हुए रेलवे स्टेशन को जला दिया। 23 अगस्त को प्रातः काल नगर के पश्चिमी ओर से ट्रेन पहुंच जाने का समाचार मिला। निदरसोल नामक अंग्रेज अधिकारी के नेतृत्व में फौज की एक टुकड़ी रेल की पटरियों को ठीक करते हुए आगे बढ़ती जा रही थी। यह देख झंडावाहक हरिद्वार बढ़ई ने रामशाला पर लगा घंटा बजाकर नगर में आगामी खतरे की सूचना दी। इस पर सभी क्रांतिकारी एक स्थान पर एकत्रित होने लगे। घरों को बंद करके नाव पर चढ़कर अपने घर के स्त्री, बच्चों व बूढ़ों को नदी के उस पार भेजने लगे।

भागदौड़ में एक स्त्री नदी में डूब गयी। बाढ़ के कारण उसे बचाया नहीं जा सका। इस बीच आताताइयों ने फायर करते हुए घरों को आग लगाना शुरू कर दिया। जब सभी स्त्री बच्चे और बूढ़े नदी पार हो गये तो नागरिकों ने सिर पर कफन बांधकर अंग्रेजी फौज से मुकाबला करने के लिये कदम आगे बढ़ाना शुरू कर दिया। नौजवानों की टोली में शिवपूजन पांडेय, जनार्दन तिवारी, वृंदावन तिवारी, राजनारायण तिवारी, राजनारायण गुप्त, पंडित सच्चिदानंद तिवारी, शिवदत्त सिंह, युगल किशोर सिंह, अक्षय कुमार गुप्ता, रामचंद्र तिवारी, रामचरित्र तिवारी, हरिशंकर तिवारी, गफूर साहब, जगन्नाथ तिवारी, बेनी माधव सिंह, सूरज दुबे, योगेंद्र तिवारी, राधाकृष्ण गुप्त आदि शामिल रहे। सैकड़ों क्रांतिकारियों की टोली भारत माता की जय व वंदे मातरम का उदघोष करते हुए फौज से मुकाबला करने के लिये आगे बढ़ रही थी। भीड़ को देख निदरसोल अब और अधिक देर तक यहां टिकना उचित नहीं लगा। वह बाजार में सिद्धनाथ के गोले में आग लगाकर आगे बढ़ा। बंदूक छिन लेने केे बाद नागरिकों का हौंसला बढ़ गया था और वे आगे बढ़ते जा रहे थे। तभी फौज के सिपाही पीछे मुड़े और गोली बरसाना शुरू कर दिया। इससे वहां भगदड़ मच गयी। आगे चल रहे 30 वर्षीय युवक वृंदावन तिवारी को सीने में गोली लगी और वहीं पर धराशायी हो गये। तीन अन्य युवकों को भी बंदूक के छर्रे लगे लेकिन उन लोगों ने इसकी परवाह न करते हुए सिपाहियों का पीछा किया। सिपाही व निदरसोल समय को भांपते हुए भागकर ट्रेन पर चढ़ गये और ट्रेन को आगे बढ़ा दिया।

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