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Ballia : विद्यालय के भैयाओं और आचार्य बंधुओं ने देखा चंद्रमा पर चंद्रयान-3 लैंडिंग


बलिया।
नागाजी सरस्वती विद्या मंदिर वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय माल्देपुर-बलिया में भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो का चंद्रयान-3 चंद्रमा पर लैंडिंग विद्यालय के भैयाओं और प्रधानाचार्य एवं समस्त आचार्य बंधुओं ने देखा। इस अवसर पर विद्यालय के प्रधानाचार्य शैलेन्द्र त्रिपाठी ने कहा कि भारतीय चंद्रयान-3 चांद के ऐसे क्षेत्र में सतह का स्पर्श करने वाला है, जहां अभी तक कोई देश नहीं पहुंचा है। चंद्रयान अभियान की घोषणा 20 साल पहले लाल किले से 15 अगस्त 2003 को अटल बिहारी वाजपेई ने की थी। अंतरिक्ष अनुसंधान तथा उपग्रह तकनीकी के क्षेत्र में भारत का प्रवेश 19 अप्रैल 1975 को आर्यभट्ट नामक उपग्रह के सफल प्रक्षेपण के साथ हुआ था। यद्यपि इस दिशा में पहला कदम 1962 में ही उठा लिया गया था और भारत सरकार के परमाणु ऊर्जा विभाग में भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति बनाई गई थी। 1963 में त्रिवेंद्रम (केरल) के निकट थुम्बा में साउंडिंग रॉकेट प्रक्षेपण सुविधा केंद्र की स्थापना की गई थी। 1969 में बेंगलुरु में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन अर्थात इसरो के गठन के बाद इस दिशा में क्रांति आ गयी। हमारा सफर आर्यभट्ट से शुरू हुआ था अब हम चंद्रयान-3 तक पहुंच गए हैं।

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