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आयोग के फरमान को ठेंगा दिखा रहे निजी स्कूलों के संचालक

बलिया: प्रदेश सरकार व उप्र राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के कड़े फरमानों के बाद निजी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों से फीस वसूली का तरीका ही बदल दिया गया है. कोरोना के चलते भले ही स्कूलों में पढ़ाई न हो रही हो, लेकि निजी विद्यालयों द्वारा आनलाइन कक्षा चलाने के बाद अब सरकार व आयोग के फरमान को मुंह चिढ़ाते हुए फीस वसूली की जा रही है. आलम यह है कि बाल संरक्षण आयोग ने छूट के साथ सिर्फ ट्यूशन फीस वसूलने के लिए छूट दी थी. लेकिन जनपद प्रतिष्ठित निजी स्कूलों द्वारा उसके विपरीत एक मर्चेंट के माध्यम से फीस वसूली की जा रही है.
निजी स्कूलों में आए दिन फीस के चलते आनलाइन कक्षाओं से बच्चों को बाहर किये जाने और नाम काटने की धमकी देने की शिकायत मिलने पर प्रदेश सरकार व उप्र राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने संज्ञान लिया और एक पत्र बीते माह प्रदेश शासन व उसके आला अफसरों के साथ ही समस्त बेसिक शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिखकर आदेश दिया था कि किसी का भी फीस जमा न होने के लिए उसे आनलाइन कक्षा से बाहर न किया. अभिभावकों की इच्छा के अनुसार छूट देते हुए उनसे केवल ट्यूशन फीस वह भी छूट के साथ जमा कराया जाय. इसके विपरीत जिले के निजी प्रतिष्ठित स्कूलों ने अभिभावकों को मोबाइल पर नये तरीके से फीस जमा करने का फंडा बना लिया है. आलम यह है कि नगर के ही एक अंग्रेजी मीडियम स्कूल में पहले भी आनलाइन फीस ही जमा होती रही है. लेकिन कोरोना के संक्रमण काल में उस स्कूल के संचालक ने पुराने साफ्टवेयर के जरिए नया बेबसाइट एटॉम टेक्नलॉजी लिमिटेड के माध्यम से फीस लेना शुरू किया है. बता दें कि जितना फीस पहले वाहन और ट्यूशन के नाम पर लिया जाता रहा है. उससे बढ़ाकर अब केवल ट्यूशन फीस वसूला जा रहा है. जिससे अभिभावक आहत तो हैं फिर भी अपने बच्चों के भविष्य की चिंता में आवाज तक नहीं उठा पा रहे हैं. फीस वसूलने का तरीका इस बार ऐसा हो गया है कि आनलाइन फीस जमा करने पर फीस जितने धनराशि का मैसेस आनलाइन खरीददारी के लिए मोबाइल पर भेज दिया जा रहा है. ऐसे में कई अभिभावक इस बात को लेकर चिंतित है कि कहीं उनके साथ आनलाइन ठगी तो नहीं की जा रही है. जिसमें स्कूल संचालक भी शामिल हैं.

अर्धवार्षिक परीक्षा से निकालने का दिखा रहे हैं भय
बलिया: निजी सकूलों में पढ़ने वाले छात्रों के अभिभावकों को अर्ध वार्षिक परीक्षा से वंचित करने के नाम पर मैसेज भेजकर धमकाया जा रहा है. ऐसे में न चाहते हुए भी अभिभावक फीस जमा करने को विवश है. जबकि उन्हें यह भी मालूम है कि उनका बच्चा कोरोना संक्रमण काल से लेकर अब स्कूल नहीं गया है. नगर के आसपास कुछ ऐसे अंग्रेजी माध्यम निजी विद्यालय हैं जिसमें प्रशासनिक अफसरों के साथ ही राजनीति में अच्छी पकड़ रखने वाले नेताओ के बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. फिर भी वे जानबूझ कर स्कूल संचालकों की बात मान ले रहे हैं. वहीं जिला प्रशासन प्रकरण को जानते हुए भी चुप्पी साधे हुए है.

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