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कर्म योगी योगेश्वर सिंह: मौन रहकर चढ़ते रहे सफलता की सीढ़ियां

बलिया। योगेश्वर सिंह जैसे कर्म योगी के व्यक्तित्व और कृतित्व की खुशबू के सभी उनके जाने वाले पहचानने वाले कायल हैं। चाहे वह उनके घर परिवार के हो या गांव जवार या दूर शहर में रहने वाले। गांव की मिट्टी की सुगंध उनके पसीने विचार और कर्म में पूरी तरह से परिलक्षित होते हैं। लोक कला एवं लोक महोत्सव के माध्यम से गांव समाज से जुड़े रहना उनके व्यक्तित्व को सबसे अलग और सबसे ऊपर दर्शाता है। अब तक की अपनी जीवन यात्रा में इन्होंने ना जाने कितने लोगों को रोजी-रोटी दी होगी। बिना कोई एहसान जताये.। इनके दरवाज़े से कोई भी कभी भी खाली हाथ नहीं लौटता.। इन्होंने जीवन में कभी ना कहना सिखा ही नही.। मेरा और इनका साथ 36 सालों का है। इन 36 वर्षों में ना जाने कितने ऐसे किस्से है जिनपर ना जाने कितने किताबें लिखी जा सकती हैं। बीते वर्षों में जब कोरोना पिक पर था तो उनका पूरा परिवार उसकी चपेट में बुरी तरह से था.। फिर भी यह व्यक्ति अपने और अपने परिवार के साथ-साथ दूसरों की मदद में लगा हुआ था। अक्सर लोगो को कहते सुना है कि जो दूसरे लोगों मदद करता है उसकी मदद ईश्वर स्वयं करते हैं। लोगों की दुआ का ही असर था की दो-दो बार संक्रमण होने के बाद भी इनका परिवार बच निकला। योगेश्वर जी अपने नाम को सार्थक करते हुए कर्म करने में विश्वास रखते हैं तथा दिखावा और दिखावे से बहुत दूर रहते हैं और कम बोलते है। कम शब्दों में अपनी बात कहने और शब्दों को रखने में ही इनकी विशेषता छुपी हुई है।


एक कर्म योगी का जीवन जीना इतना आसान कहां होता है, यह योगेश्वर जी के जीवन से देखा जा सकता है और महसूस किया जा सकता है। विषम और विपरीत परिस्थिति में अपने संयम, साहस और अपना विवेक बनाए रखना इनके व्यक्तित्व को दर्शाता है। जो भी इनके जीवन के सफर को पड़ेगा उसे जीवन जीने की प्रेरणा और भरपूर मार्ग दर्शन मिलेगा। एक 22-23 साल का नवयुवक अपनी आंखों में ढेर सारे सपने लेकर अपनी मंजिल की तरफ अकेला ही चल पड़ता है, अनेकों बाधाएं और चुनौतियों का सामना करते हुए, बिना अपनी उपलब्धियों को किसी को भी गिनाए बिना अपने मंजिल की ऊंचाइयों तक पहुंचता है और उसे अपने उसूलों और सिद्धांतों से जीता है। योगेश्वर जी जैसे कर्मयोगी अपने सपनों को साकार करने के लिए दिन-रात खूब मेहनत करता है, एक खामोशी के साथ बिना किसी को बताए बिना किसी को जताये बिना। योगेश्वर जी की सफलता का एक प्रमुख कारण यह भी है जो बहुत कम लोगों को ही पता है। शांत चित्त रहना और कम बोलना और जहां जरूरत ना हो वहां मौन रहकर सिर्फ कार्य सफल होने की कामना और निष्ठा के साथ कार्य को पूरा होने तक अपने धैर्य को बरकरार रखना इनकी खासियत है। इनका सफल हो जाना अथवा इनके परिश्रम कार्य के प्रति इनका लग्न इनके व्यक्तित्व को दर्शाता है इसलिए मैंने इनका नाम कर्म -योगी रखा है।

आज के इस भौतिक युग में लोग अपने को सिर्फ वक्त और अहमियत देते हैं, किसी के सुख दुख से किसी को कोई लेना देना नहीं रहता है पर वहां एक ऐसा व्यक्ति विशेष है जो दूसरों का दुख भी समझता है और उन्हें दूर करने का हर संभव प्रयास ही करता है चाहे वह आर्थिक रूप से हो चाहे वह शारीरिक रूप से हो और चाहे वह मानसिक रूप से हो तो ऐसे में ऐसे व्यक्तित्व के इंसान को कर्म योगी ही तो कहेंगे। हर इंसान इस दुनिया में जब भी आता है तो वह अपने साथ तीन चीजें अवश्य लेकर आता है, कर्ज़, फर्ज़, मर्ज़। कर्म योगी बनना और उसके रास्ते पर चलना इतना आसान कहां है पर इस बात को योगेश्वर जी मिथ्या साबित करते हुए अपने कर्ज़, फर्ज और मर्ज़ को निश्चल मन से निभाते हुए और समझते हुए आगे बढ़ते हैं। योगेश्वर जी कर्म फल के प्रति आसक्त भाव सदैव त्याग कर चलते हैं, वह सदैव कर्म करने में विश्वास रखते हैं ना कि अपने द्वारा किए गए कार्यों की फल की कामना या इच्छा रखते हैं, चाहे परिणाम सकारात्मक आये या नकारात्मक आये वह कभी अपने जीवन में विचलित नहीं होते। उनका संयम और उनका आत्मविश्वास और उनका धैर्य उनके एक कर्म योगी के रूप में उन्हें परिभाषित करता है। एक कर्म योगी के जीवन में दुनिया भर के उतार-चढ़ाव आते हैं कठिन से कठिन स्थिति और परिस्थितियां आती है पर वह उन सब को अपने साहस और पराक्रम से पार कर लेता है। इसका जीता जागता उदाहरण योगेश्वर जी हैं जो परिणाम की चिंता किए बिना निरंतर आगे बढ़ते जाते हैं, किसी भी कार्य को निस्वार्थ भाव और लग्न से करते हुए उसे उसकी मंजिल तक पहुंचाते हैं, यही एक कर्मयोगी की पहचान होती है। हमारे मनुष्य जीवन में हर इंसान को ईश्वर ने कुछ ना कुछ तो अवश्य ही दिया है किसी को दौलत दी है तो किसी को शोहरत दी है तो किसी को रूप दिया है तो किसी को गुढ़ो से नवाजा है पर एक कर्म योगी को ईश्वर ने सिर्फ कर्मप्रधान बनाया है जिसे अपने कर्म और कार्य से ही जुड़ा रहना श्रेष्ठकर लगता है। कितना कठिन है अपने सिद्धांतों और अपने वसूलों पर चलते हुए रास्ता तय करना। मार्ग में ना जाने कितनी परेशानियों और अड़चनों का सामना करना पड़ता है पर जिसने ठान लिया कि उसे निरंतर चलना ही है तो उसके लिए क्या कंक्रींले रास्ते और क्या पथरीले रास्ते। एक कर्म योगी के जीवन को यदि आपको पास से देखने को मिले तो आपको पता चलेगा कितना संयम और साहस और धैर्य है उसके अंदर। मैं लिख पा रही हूं कुछ शब्द शायद इसलिए कि मैंने बहुत पास से देखा है और समझा है। जो सच्चे दिल से अपनी जिम्मेदारी निभाता है अपने कर्मों द्वारा अपने फर्ज को पूरा करता है उसे दुनिया ज्यादातर बेवकूफ ही समझती है लेकिन मेरे नजरिए से देखा जाए तो वास्तव में कर्म योगी ऐसे ही होते हैं।

आशा सिंह की कलम से…

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