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अब तूल पकड़ता दिख रहा फीसमाफी का मामला,जिला प्रशासन के अफसरों की चुप्पी ने खड़े किये सवाल

बलिया: बाल अधिकार संरक्षण आयोग के फरमान के बाद भी निजी विद्यालयों के द्वारा खुले तौर बच्चों के पढ़ाई का फीस का मामला जनपद में तूल पकड़ने लगा है. अब तो कुछ अभिभावक नोटिस भेजकर आयोग के फरमान को लागू कराने में लगे हुए हैं. फिर स्कूल प्रशासन की ओर से कोई नया रुख अख्तियार नहीं किया जाना खुले तौर पर आयोग के आदेशों की अवहेलना है. ऐसे में सरकार व जिला प्रशासन के अफसर इस प्रकरण में कौन सा ठोस कदम उठा रहे हैं, देखने की बात है.
इस प्रकरण में कुछ अभिभावकों का कहना है कि हम लोग अपने बच्चों को अच्छी तालीम देने के लिए निजी स्कूलों में पढ़ा रहे हैं. जबकि हम लोग कभी सपने में भी नहीं सोचे थे कि जिस स्कूल को हम लोगों ने चयन किया है वह विषम परिस्थितियों में भी समय से फीस भुगतान किया है. आज वही निजी स्कूल इस कोरोना के महामारी के दौर में हम अभिभावकों पर फीस जमा करने का दबाव बना रहे हैं. इतना ही नहीं सरकार व आयोग के आदेश के बाद भी कोई छूट न देते हुए फीस जमा कराने का नया हथकंडा भी अपना रहे हैं. जो सरासर अनुचित है. निजी स्कूलों के इस तानाशाही रवैये को देखते हुए भी सरकार व आयोग की ओर से इनके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है. जिससे अभिभावकों में सरकार के प्रति आक्रोश पनपता दिखायी दे रहा है. आलम यह है कि इन सारी बातों की जानकारी होते हुए भी जिला प्रशासन भी चुप्पी साधे हुए है. अभिभावकों का आरोप है कि इन निजी स्कूलों से सरकार के प्रतिनिधियों को कोई बड़ा मुनाफा तो नहीं हो रहा है. अगर नहीं तो फिर इन निजी स्कूलों के प्रति इतनी दरियादिली क्यों दिखायी जा रही है.

अभिभावक क्यों भेजवाये नोटिस
जब सरकार और बाल संरक्षण अधिकार आयोग का स्पष्ट निर्देश है तो फीस में छूट पाने के लिए अभिभावक नोटिस का सहारा क्यों लें. यह उनके लिए समझ से परे है. अभिभावकों का कहना है कि सरकार के आदेश के बाद भी फीस में छूट पाने के लिए कोर्ट से नोटिस भेजवाने की बात कही जा रही है. जिससे निजी स्कूल द्वारा उनके इस प्रकरण को संज्ञान में लेकर कार्रवाई की जाय. यह बात किसी भी अभिभावक को हजम नहीं हो रही है. अभिभावकों का साफ तौर कहना है कि जब सरकार ने प्रशासन के अफसरों को आदेश दे रखा है फिर उनके द्वारा क्यों नहीं कार्रवाई की जा रही है.

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