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श्रमिकों के असली नेता थे शहीद भगत सिंह

बलिया. राष्ट्रीय संगठन एफएमआरआई के आह्वान पर शहीद भगत सिंह की जयंती मनाने का फैसला लिया गया है. सही मायने मे श्रमिकों के असली नेता तो शहीद भगत सिंह ही हैं. जिन्होंने श्रमिक शोषण के खिलाफ आंदोलन को बुलंद किया था. इसी के मद्देनजर जयंती के साथ एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया. जिसमें वक्ताओं ने शहीद भगत सिंह को एक श्रमिक योद्धा करार दिया.
इसी क्रम में नगर के आचार्य नरेंद्र देव सभागार जिला परिषद परिसर में शहीद-ए-आजम भगत सिंह के जयंती मनाने के बाद पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया. इस अवसर पर गोष्ठी के मुख्य वक्ता कामरेड सुभाष सिंह ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भगत सिंह ने अपनी शहादत सिर्फ अंग्रेजों के शासन से मुक्ति के लिए ही नहीं, बल्कि हर तरह के शोषण से मुक्ति के लिए दिया था. यही कारण था कि वे समाजवादी रूस एवं मार्क्सवाद लेनिन से प्रभावित थे और दुनिया में शोषण का सबसे बड़ा कारण साम्राज्यवाद को मानते थे. आज भारत में साम्राज्यवाद का हस्तक्षेप बढ़ा है. देशी और विदेशी पूंजीपति मिलकर देश को लूट रहे है. साथ ही संप्रदायिकता और जातिवाद को हथियार बनाकर जन संघर्षों की धार कमजोर कर रहे हैं. ताकि देश और विदेशी पूंजी की लूट-खसोट जारी रहे. जिसके विरोध में संघर्ष ही भगत सिंह की सच्ची याद दिलाती है. यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है. इस अवसर पर कामरेड अवध नरायन सिंह, रघुवंश उपाध्याय, अजीत सिंह, नरेंद्र सिंह, पंकज मेहता, प्रमोद गौड़, आलोक मिश्रा, रवि यादव आदि लोग उपस्थित रहे.

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