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तो पांच साल में निवर्तमान बलिया जिपं अध्यक्ष खर्च किए इतने रूपए

बलिया। निवर्तमान चेयरमैन सुधीर पासवान के कार्यकाल में विकास कार्य में खर्च हुए एक अरब ३० करोड़ रूपए खर्च होने के बाद भी कुछ गांव विकास से कोसों दूर है। पांच साल के कार्यकाल में राजवित्त, पूर्वांचल विकास निधि, सांसद निधि व विधायक निधि से इतनी भारी रकम प्राप्त हुई। जिले में जिला पंचायत बलिया को विकास के नाम पर चारों तरफ से धन प्राप्त होता है। उक्त धन से सड़क, नाली, पुलिया, सामुदायिक भवन, वृक्षारोपण आदि किए गए।

 

जिला पंचायत क्षेत्र में विकास बितना बेहतर हुआ है। यह तो स्थानीय जनता बताएगी। लेकिन दावा यह है कि गांवों में विकास के लिए जिला पंचायत पूरे पांच साल विकास की तरफ अपने कदमों को बढ़ाता रहा। जिसमें सबसे बड़ी भूमिका जिला पंचायत सदस्यों की भी रही है। ये हमेशा अपने क्षेत्र के विकास को लेकर सदन में अपनी आवाज उठाते रहे। जिसकी वजह से विकास बेहतर हो सका है। आगामी नया चेयरमैन कौन होगा यह तो भविष्य के गर्भ में है, लेकिन यह तय है कि एक अरब ३० करोड़ से अधिक धन नए चेयरमैन को मिल सकता है। ताकि पूरे जनपद के गांवों को विकास के पथ पर ले जा सकें। करोड़ों रूपए खर्च करने के बाद एक सूत्र ने बताया कि जिला पंचायत अध्यक्ष बनने के लिए करोड़ों रूपए खर्च करने पड़ते हैं, तब जाकर जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी मिलती है। क्योंकि जिला पंचायत अध्यक्ष को चुनने के लिए जिला पंचायत सदस्यों की अहम भूमिका होती है। राजनैतिक दलों से चुनकर आए नवनिर्वाचित जिला पंचायत सदस्य किसे अपना अध्यक्ष चुनेंगे यह तो आने वाला समय बताएगा। लेकिन जिसको अध्यक्ष बनना है वह अपनी तैयारी जोरशोर से कर रहा है। हालांकि अभी खुलकर बसपा, सुभासपा व सपा मैदान में आई है। वहीं भाजपा, कांग्रेस व अन्य राजनैतिक दल गुणा गणित में लगे हुए हैं। यदि २५ सालों में गौर करें तो सपा व बसपा के ही चेयरमैन रहे हैं। योगी सरकार में भाजपा का चेयरमैन कैसे होगा यह तो उसके सामने सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है। क्योंकि उसके सामने बसपा, सुभासपा व सपा खड़ी है। वहीं निर्दल प्रत्याशियों की भी संख्या अधिक है। कांग्रेस किन सदस्यों को लेकर चुनाव मैदान में आती है या फिर वह अपना समर्थन किसको देगी यह भी एक गंभीर विषय बना हुआ है।

…और दिग्गज चुनाव मैदान से है बाहर
बलिया। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के पूर्व भाजपा से पूर्व अध्यक्ष देवेंद्र यादव, नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधीरी के पुत्र रणजीत चौधरी चुनाव हार चुके हैं। यह प्रबल दावेदार जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए थे। लेकिन चुनाव हारने के कारण ये लोग चुनाव मैदान से बाहर हो गए हैं। वैसे अभी तक आनंद चौधरी मजबूत दावेदार के रूप में मैदान में दिखाई दे रहे हैं। लेकिन सपा ने भी उनको चुनौती देते हुए चुनाव लडऩे का ऐलान कर दिया है। यहां से कौन प्रत्याशी होगा यह तय नहीं है, लेकिन कोई मजबूत प्रत्याशी ही मैदान में आएगा।
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