Ballia : 25 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण, बरतें ये खास सावधानियां
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बलिया। इस वर्ष का द्वितीय खण्डसूर्यग्रहण कार्तिक कृष्ण अमावस्या दिन मंगलवार दिनांक 25 अक्टूबर 2022 को लग रहा है। यह सूर्य – ग्रहण भारत में ग्रस्तास्त सूर्यग्रहण के रूप में दिखाई देगा। भारतीय समयानुसार यह ग्रहण सायं 25 अक्टूबर को 4 बजकर 30 मिनट से 5.27 तक व मोक्ष 6 बजकर 32 मिनट पर होगा। धर्मशास्त्र के अनुसार सूर्यग्रहण में सूतक 12 घंटे पूर्व से ही सूतक शुरू हो जाता है। इसलिए 25 अक्टूबर की प्रातः 4.30 से ही मन्दिर के कपाट व पूजन बन्द हो जायेंगे। जिस राशि के लिए अनिष्ट हो उसे ग्रहण नहीं देखना चाहिये। ग्रहण काल के उपरान्त प्रयागराज, पुष्कर, हरिद्वार व कुरुक्षेत्र में स्नान महापुण्यदायी होता है। ग्रहण के दौरान बालक, वृद्ध, रोगी व गर्भवती स्त्री के लिए भोजन लघुशंका, दीर्घर्शका की छुट है। बाकी सभी के लिए निषेध है। आपत्ति काल में लघुशंका, दीर्घशंका किया जा सकता है। ग्रहण काल में धार्मिक पुस्तक का स्पर्श वर्जित है। बिना धार्मिक पुस्तक के स्पर्श के ही मंत्र का जप करना चाहिये। ग्रहण काल में भोज्यपदार्थ आटा, चावल, दाला चीनी आदि भोज्यपदार्थ में तुलसी का पत्ता या कुशा डाल देना चाहिये। ग्रहण काल में गर्भवती स्त्री को घर के अन्दर छिपकर पेट को पूर्ण रूप से कंबल या मोटे कपड़े से ढककर रखना चाहिये। धर्मसिन्धु के अनुसार ग्रहण मोक्ष उपरांत स्नान, पूजन, तर्पण, दान करना श्रेयष्कर होता है।
ग्रहण फल के अनुसार—
मेष,स्त्री पीणा
वृष, शौख्य
मिथुन,चिंता
कर्क,व्यथा
सिंह ,श्री
कन्या ,क्षति
तुला , घात
वृश्चिक, हानि
धनु ,लाभ
मकर ,सुख
कुंभ , मान नाश
मीन, मृत्यु तुल्य कष्ट का योग बन रहा है।
थम्हनपुरा निवासी आचार्य डा0अखिलेश उपाध्याय ने बताय कि मत्स्य पुराण के अनुसार धार्मिक एवं ज्योतिष आधार पर राहु चन्द्रमा को ग्रसता है। अमृतपान की घटना से क्रोधित होकर दोनो छायाग्रह राहु, केतु, सूर्य और चन्द्रमा से प्रतिकार लेने के लिए पीछे लगे रहते है। जैसे ही दोनों का सामना सूर्य से होता है तो ग्रहण का संयोग बन जाता है। दूसरी ओर वैज्ञानिकों के अनुसार जब सूर्य और पृथ्वी के बीच चन्द्रमा आ जाता है तो सूर्यग्रहण तथा जब सूर्य की चन्द्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है तो चन्द्रग्रहण लगता है। कुरुक्षेत्र में सूर्यग्रहण का अत्यन्त महत्व है। कुरुक्षेत्र में ही सूर्यग्रहण के अवसर पर महर्षि दधीचि ने राक्षस वृतासुर को मांरने के लिए देवों को अपना अस्थिदान कर दिया था । जिनसे बाद में बज्र बना तथा राक्षसों का वध सम्भव हो सका। काशीक्षेत्र में सूर्यग्रहण का स्पर्श 4 बजकर 42 मिनट सायं से प्रारंभ होगा। सूर्यास्त सायं 5.22 पर व मोक्ष 6.32 पर होगा।
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