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जंबो किट का संकट, भटक रहे मरीज

 मथुरा। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में आक्सीजन का जिस तरह से संकट पैदा हुआ था। ठीक उसी तरह से बुखार और डेंगू के चलते जंबो पैक का संकट हो गया है। गिरती प्लेटलेट्स में सुधार के लिए स्वजन ब्लड ग्रुप के डोनर तो मिल रहे हैं, लेकिन किट न होने की वजह से मरीजों को जंबो पैक नहीं मिल पा रहे हैं। स्वजन जंबो पैक के स्थान पर आरडीपी से काम चला चलाने को मजबूर हो रहे हैं।

जिले में आधा दर्जन ब्लड बैंक हैं, जहां पर रक्त से प्लेटलेट्स निकाल कर उसकी जंबो पैक तैयार करने की मशीन है। जिन पर भी पिछले तीन दिन से किट नहीं है। इसकी वजह से मरीज को रेंडम डोनर प्लेटलेट्स (आरडीपी) से काम चलाना पड़ रहा है। हालांकि गोवर्धन रोड स्थित सद्भावना ब्लड बैंक के डायरेक्टर संजीव कुमार ने बताया कि उन्हें मंगलवार दोपहर को करीब दो दर्जन किट प्राप्त हो गई है। अब बहुत गंभीर मरीजों को आरडीपी के साथ जंबो पैक भी उपलब्ध कराया जाएगा। मंडी चौराहा स्थित लाइफ लाइन ब्लड बैंक के डायरेक्टर ब्रजेश शर्मा ने बताया कि उनके यहां किट का अभी संकट है। तीन-चार दिन से किट का संकट था। मंगलवार को चार जंबो किट मिली हैं, लेकिन हालात को देखते हुए ये नाकाफी हैं। जंबो पैक और आरडीपी में यह है अंतर : बढ़ते बुखार और डेंगू के मरीजों में प्लेटलेट्स कम हो रही हैं। जिन मरीजों के प्लेटलेट्स बहुत कम हो रही होती हैं। उन्हें चिकित्सक प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए जंबो पैक चढ़ाने की सलाह देते हैं। आइएमए के उपाध्यक्ष डा. गौरव भारद्वाज ने बताया कि एक जंबो पैक में करीब 40 से 50 हजार प्लेटलेट्स होती हैं, जबकि आरडीपी में करीब तीन हजार प्लेटलेट्स होती हैं। बाकी मरीज के ऊपर डिपेंड करता है कि वह कितनी जल्दी रिकवर होता है।

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