Ballia : सादगी और ईमानदारी से भरा है कर्पूरी ठाकुर का जीवन : बोले अवलेश सिंह
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जननायक कर्पूरी ठाकुर की मनायी गयी जयंती
बलिया। जदयू कार्यालय लखनऊ में जननायक कर्पूरी ठाकुर की जयंती समारोह मनायी गयी। इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए जदयू के वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष अवलेश कुमार सिंह ने कहा कि कर्पूरी ठाकुर का जीवन सादगी और ईमानदारी से भरा हैं। उनका जन्म 24 जनवरी 1924 को हुआ था।
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वह 64 साल की उम्र में 17 फरवरी 1988 को हम लोगों के बीच से विदा हो गये। उन्होंने कहा कि राजनीति में इतना लंबा सफर बिताने के बाद जब वे मरे तो अपने परिवार को विरासत में देने के लिये एक मकान तक उनके पास नहीं बचा था। न तो पटना में और न ही अपने पैतृक घर में। वह एक इंच जमीन भी नहीं जोड़ पाये। उनसे जुड़े कुछ लोग बताते है कि कर्पूरी ठाकुर जब बिहार के मुख्यमंत्री बने थे तो उनके रिश्ते में उनके बहनोई उनके पास से नौकरी के लिये गये थे और कहीं सिफारिश कर नौकरी दिलाने के लिये कहा था। उनकी बात सुनकर कर्पूरी ठाकुर गंभीर हो गये।
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उसके बाद अपनी जेब से 50 रूपये निकालकर उन्हें दिये और कहा कि जाइये उस्तरा आदि खरीद लीजिये और अपना पुश्तैनी धंधा शुरू कीजिए। उनके मुख्यमंत्री रहते उनके गांव के कुछ दबंग सामंतों ने उनके पिता को अपमानित करने का काम किया। खबर फैली तो जिलाधिकारी गांव में कार्रवाई के लिये पहुंच गये। लेकिन कर्पूरी ठाकुर ने जिलाधिकारी को कार्रवाई करने के लिये रोक दिया। उनका कहना था कि दबे पिछड़ों को अपमान तो गांव गांव में हो रहा है।
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एक और उदाहरण है कि कर्पूरी ठाकुर जब पहली बार उपमुख्यमंत्री बने या दो बार बिहार के मुख्यमंत्री बने तो अपने बेटे रामनाथ को खत लिखना नहीं भूले, इस खत में क्या था इसके बारे में रामनाथ कहते है कि पत्र में तीन ही बातें लिखी होती थी। तुम मुझसे प्रभावित मत होना, कोई लाभ लालच देगा तो उस लोभ में मत आना, मेरी बदनामी होगी। रामनाथ ठाकुर इन दिनोें भले ही राजनीति में हो और पिता के नाम का फायदा भी उन्हें मिला हो लेकिन कर्पूरी ठाकुर ने अपने जीवन में राजनीतिक तौर पर आगे बढ़ाने का काम नहीं किया। इस अवसर पर प्रदेश संयोजक सतेंद्र पटेल, उपाध्यक्ष ममता सिंह, प्रदेश प्रवक्ता प्रो. केके त्रिपाठी, दीवाकर सिह, सुभाष पाठक, अल्पसंख्यक मोर्चा के सैयद अहमद, प्रदेश महासचिव डीएम सिंह, सतेंद्र ठाकुर आदि मौजूद रहे।
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