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Ballia : बलिया लोकसभा: भाजपा की राह सहज नहीं

रोशन जायसवाल,
बलिया।
आगामी लोकसभा चुनाव भाजपा के लिये चुनौतीपूर्ण हो सकता हैं। यदि विधानसभा चुनाव के पैमानों पर जाएं तो इसे खारिज भी नहीं किया जा सकता। विधानसभा चुनाव के नतीजों पर फोकस करें तो बैरिया विधानसभा व फेफना एवं मोहम्मदाबाद के साथ ही जहूराबाद से सपा और सुभासपा गठबंधन में सपा की चारों सीटों पर दबदबा रहा। ऐसे में भाजपा इन विधानसभाओं में चुनाव नहीं जीत पायी। बलिया विधानसभा में ही केवल भाजपा बंपर वोट से चुनाव जीती।

लगातार दूसरी बार भाजपा ने बलिया विधानसभा मंें जीत का रिकार्ड बनाया है। एक बात यह भी है कि राजनीतिक गलियारों से जो चर्चाएं सामने आ रही है कि यदि विधानसभा के नतीजे सपा के पक्ष में रहे है तो वह चुनाव विधानसभा का रहा है। लेकिन लोकसभा चुनाव में तस्वीर बदल जाती है। क्योंकि मतदाता राष्ट्र को देखकर ही वोट करते है। लेकिन वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग ये भी कहते है कि प्रत्याशी और जाति का भी असर पड़ता है। यदि भाजपा के सामने सपा ने दमदार चेहरा उतारा तो कुछ भी हो सकता है। चर्चाएं तरह-तरह की होती है लेकिन उन चर्चाओं में दम उस वक्त होता है जब चर्चा मील का पत्थर साबित होता है। लेकिन अक्सर ऐसा कम होता है। बलिया लोकसभा सीट पर समाजवादियों, कांग्रेस व सजपा का ही कब्जा रहा है। लेकिन मोदी लहर ने ऐसा लहर बनाया कि कांग्रेस, सपा को सफलता नहीं मिल पायी। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को बड़ी जीत मिली। वहीं दूसरे नंबर पर ही सपा सिमट कर रह गयी। अब सपा इस सीट को जीतने के लिये एक से बढ़कर एक बड़े नेताओं की लिस्ट बना रही है। कौन नेता भाजपा प्रत्याशी को सीधा टक्कर देगा, वा प्रत्याशी इस बार के लोकसभा चुनाव के मैदान में होगा।

करीब तीन माह पहले से समाजवादी पार्टी से टिकट की दौड़ में आगे बढ़ रहे इन दावेदारों की खबर प्रकाशित की गयी थी। आज ये दावेदार सपा की टिकट की दौड़ में आगे है। लेकिन अवलेश कुमार सिंह जो जदयू के वरिष्ठ उपाध्यक्ष है लेकिन वर्तमान समय में वह अपने नेता नीतिश कुमार के जदयू के जो एनडीए में शामिल हो चुकी है उसमें शामिल है।

लगातार पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर रहे सांसद
बलिया लोकसभा सीट पर मुलायम सिंह यादव हमेशा मेहरबान रहे है। क्योंकि पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर जी बलिया लोकसभा सीट से जब-जब चुनाव लड़े तब- तब मुलायम सिंह यादव ने सपा से कोई प्रत्याशी न उतारकर चंद्रशेखर जी का सीधा समर्थन करते रहे। यहीं नहीं उनके निधन के बाद भी मुलायम सिंह यादव उनके छोटे पुत्र नीरज शेखर को उपचुनाव में टिकट देकर मैदान में उतारा और बसपा सरकार में ताकतवर प्रत्याशी रहे विनय शंकर तिवारी को हराया। उसके बाद 2009 के चुनाव में भी मुलायम सिंह यादव ने नीरज शेखर को लोकसभा चुनाव मैदान में उतारा और जिताया भी। उसके बाद 2014 के लाकसभा चुनाव में नीरज शेखर सपा से प्रत्याशी बने लेकिन भाजपा प्रत्याशी भरत सिंह से चुनाव हार गये। उसके बाद भी मुलायम सिंह यादव ने नीरज शेखर को राज्यसभा में भेजा। उसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में नीरज शेखर को सपा से टिकट नहीं मिला, उन्होंने सपा से नाता तोड़ भाजपा में शामिल हो गये।

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