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Ballia : नाले में तब्दील हुई नहर, विभागीय उपेक्षा की शिकार


अतिक्रमण से अस्तित्व पर मंडरा रहा संकट
सिकंदरपुर (बलिया)। नहरों की सिल्ट सफाई के नाम सरकार हर साल लाखों रुपये खर्च कर रही है। ताकि किसानों को फसलों की सिंचाई के लिए परेशान न होना पड़े। लेकिन, सरकार के मंसूबों पर विभागीय अधिकारी व ठेकेदार कैसे पानी फेरते हैं यह स्थानीय चौराहा स्थित नहर को देखा जा सकता है। तुर्तीपार पम्प कैनाल से निकली उक्त नहर देवकली, सिकन्दरपुर होते हुए हरदिया तक चली जाती है। कई दशक पूर्व बनाई गई यह नहर कभी किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाने का आधार हुआ करती थी, पर अब ऐसा नहीं है। इसके इर्द-गिर्द की भूमि और पटरी का अधिकांश हिस्सा जहां अवैध अतिक्रमण का शिकार है तो दूसरी ओर साफ-सफाई के आभाव में यह पूर्णतः नाले का रुप ले चुकी है।

खास कर बस स्टैंड चौराहा के पूरब और पश्चिम करीब एक किमी की स्थिति बेहद खराब है। यदि यही स्थिति रही तो इसका अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा। एक तरफ नहर कूड़ा करकट से पटी पड़ी है तो दूसरी ओर इससे निकलने वाली सड़ांध ने लोगों का जीना दुश्वार कर रखा है। बावजूद विभाग नहर की साफ-सफाई को लेकर बेखबर नजर आ रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि साफ सफाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति ही की जाती है। कभी सफाई हुई भी तो उसका सारा मलबा नहर के किनारे ही छोड़ दिया जाता है, जिससे स्थिति और विकराल हो जाती है।

साथ ही सिल्ट के कारण सीजन में नहर का ओवरफ्लो करना आम बात है, जिससे आस-पास के दुकानदारों को काफी दिक्कत भी होती है। बता दें कि, तहसील क्षेत्र की सिंचाई व्यवस्था काफी कुछ तुर्तीपार पम्प कैनाल पर निर्भर करती है। करीब 5200 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई सिकन्दरपुर, पूर, पंदह रजवाहा के अलावा रुद्रवार, हुसैनपुर व बघुड़ी माईनर समेत एक दर्जन रजवाहों पर निर्भर है। कमोबेश यही स्थिति सभी नहरों या रजवाहों की है। बावजूद विभाग की तन्द्रा नही टूट रही। लिहाजा हर सीजन में टेल तक पानी नहीं पहुंच पाता और किसानों को सिंचाई के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है। लोगों ने बताया कि सिल्ट की वजह से नहर ओवरफ्लो तो करती ही है टेल तक पानी भी नहीं पहुंचता।

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