Ballia :नवजात को कराएं स्तनपान, बनी रहेगी मुस्कान: डॉ सिद्धार्थ
विश्व स्तनपान सप्ताह विशेष-
-कोलोस्ट्रम दूध पीने से शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है
बलिया। नवजात शिशु के संपूर्ण शारीरिक और मानसिक विकास के लिए मां का दूध अत्यंत आवश्यक होता है। मां के दूध में शिशु की आवश्यकतानुसार पानी होता है इसलिए छः माह तक बच्चे को ऊपर से पानी देने की भी आवश्यकता नहीं होती है। इसलिए बच्चे की मुस्कान बनाए रखने के लिए 6 माह तक शिशु को केवल स्तनपान ही कराना चाहिए। यह जानकारी जिला महिला अस्पताल स्थित प्रश्वोत्तर केंद्र पर कार्यरत वरिष्ठ नवजात शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सिद्धार्थ मणि दुबे ने दी। डॉक्टर दुबे ने बताया कि स्तनपान बच्चे में भावनात्मक लगाव पैदा करने के साथ ही सुरक्षा का बोध भी कराता है। आंकड़े भी बताते हैं कि छः माह तक केवल स्तनपान कराने से शिशु में दस्त और निमोनिया का खतरा बहुत कम हो जाता है। स्तनपान कराने से मां को स्तन कैंसर और अंडाशय के कैंसर का खतरा भी कम हो जाता है। डॉ दुबे ने बताया कि मां के दूध की महत्ता को समझते हुए स्वास्थ्य महकमे का भी पूरा जोर रहता है कि लेबर रूम में कार्यरत चिकित्सक एवं अन्य स्टाफ यह सुनिश्चित कराएं कि जन्म के तुरंत बाद शिशु को मां की छाती पर रखकर स्तनपान की शुरुआत लेबर रूम के अंदर ही कराई जाए। नवजात को मां का पहला पीला गाढ़ा (कोलोस्ट्रम) दूध पी लेने के बाद ही उसे लेबर रूम से अन्यत्र कहीं शिफ्ट किया जाए। इसके अलावा मां को स्तनपान की पोजीशन, शिशु का स्तन से जुड़ाव और मां को दूध निकालने की विधि को समझाने में भी चिकित्सा कर्मियों द्वारा पूरा सहयोग किया जाना चाहिए ताकि कोई भी बच्चा अमृत समान मां के दूध से वंचित ना रह जाए। बच्चे को जन्म के पहले घंटे के अंदर मां का पीला गाढ़ा दूध (कोलोस्ट्रम) पिलाने से उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता में बहुत वृद्धि हो जाती है। बच्चे को 6 माह तक लगातार केवल मां का दूध दिया जाना चाहिए और उसके साथ किसी अन्य पदार्थ जैसे पानी, घुट्टी, शहद, गाय अथवा भैंस का दूध कभी नहीं देना चाहिए। मां का दूध ही शिशु के संपूर्ण मानसिक एवं शारीरिक विकास के लिए संपूर्ण आहार का काम करता है। मां का शुरुआती दूध थोड़ा कम होता है लेकिन वह नवजात शिशु के लिए पर्याप्त होता है धीरे-धीरे जैसे जैसे बच्चा बढ़ता है तो दूध भी बढ़ने लगता है। इसलिए महिलाओं की यह भ्रांति कि उनका दूध बच्चे के लिए पूरा नहीं पड़ रहा है और वह शिशु को कुछ अन्य देना शुरु कर देती हैं जो पूरी तरह से गलत है।
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कोलोस्ट्रम दूध के फायदे
कोलोस्ट्रम जन्म के बाद शिशु को पिलाए जाने वाला पहला दूध होता है जिसमें कई तरह के पोषक तत्व जैसे विटामिन होते है। जो शिशु के संपूर्ण विकास के लिए अत्यंत आवश्यक होते हैं। कोलोस्ट्रम के लैक्सेटिव (मल त्यागने में मदद करना) प्रभाव नवजात शिशु के पहले मल त्याग की प्रक्रिया को आसान बनाते हैं और शिशु के शरीर से बिलिरुबिन को बाहर करके पीलिया रोग से बचाव करते हैं। कोलोस्ट्रम में मौजूद एंटीबॉडीज नवजात शिशु को पेट के संक्रमण और स्वसन तंत्र के संक्रमण जैसे निमोनिया आदि से सुरक्षा प्रदान करते हैं। नवजात शिशु की तंत्रिका तंत्र यह उचित विकास के लिए कोलोस्ट्रम मददगार साबित होता है। कोलोस्ट्रम नवजात शिशु का फूड एलर्जी (खाने से एलर्जी) से भी बचाव करता है।