Ads

1 / 3
Caption Text
2 / 3
Caption Two
3 / 3
Caption Three
3 / 3
Caption Three

Ballia : किस जातीय समीकरण में फिट बैठेंगी भाजपा व सपा

बलिया। लोकसभा सीट बलिया से भाजपा और सपा से कौन चेहरा होगा यह भविष्य के गर्भ में है। लेकिन दोनों दलों में जातीय समीकरण को लेकर काफी मंथन चल रहा है। अब ऐसे में सवाल यह भी उठ रहा है कि पहले भाजपा या फिर सपा अपने उम्मीदवार की घोषणा करती है। इस सवाल पर समाजवादी पार्टी के नेताओं से बातचीत की गयी तो जवाब यह मिला कि भाजपा किस जाति के उम्मीदवार को मैदान में उतारेगी हम उसके सामने उस जाति से अलग उम्मीदवार की घोषणा सपा करेंगी।

वहीं भाजपा के राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो बलिया से कौन चुनाव लड़ेगा यह सबकुछ तय है ,दूसरी सूची इसी मार्च माह के अंत में जारी होगी और उसके बलिया के प्रत्याशी का नाम होगा। वैसे भाजपा से ठाकुर, भूमिहार और ब्राह्मण जाति से जुड़े दावेदार चर्चाओं में है। वहीं सपा के खेमें में तीन प्रमुख दावेदार यादव, भूमिहार और ब्राह्मण लाइन में है। लेकिन यह भी माना जा रहा है कि भाजपा के घोषणा के बाद ही सपा प्रत्याशी के नाम की घोषणा करेगी। यानि की दोनों दल जातीय समीकरण को लेकर चल रही है। उदाहरण के रूप में 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने क्षत्रिय चेहरा के रूप में वीरेंद्र सिंह मस्त को चुनाव लड़ाया वहीं सपा ने ब्राह्मण चेहरा के रूप में सनातन पांडेय को मैदान में उतारा।

जबकि 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी भरत सिंह के सामने सपा ने ठाकुर चेहरे के रूप में नीरज शेखर को मैदान में उतारा लेकिन मोदी लहर में भाजपा ने सपा से यह सीट छीनने में कामयाब रही। इसी समीकरण को देखते हुए सपा भाजपा प्रत्याशी के घोषणा के इंतजार में बैठी है। सपा के एक सूत्र ने बताया कि यदि भाजपा किसी क्षत्रिय, ब्राह्मण या भूमिहार में से किसी एक को मैदान में उतारेगी तो इन्हें टक्कर देने के लिये हमारे पास यादव, ब्राह्मण और भूमिहार जाति से जुडे मजबूत प्रत्याशी है। जिनके पांचों विधानसभाओं में जबरदस्त पकड़ है। वैसे बतातें चले कि बीते 2022 के विधानसभा चुनाव में पांच विधानसभा चुनावों में यदि गौर करें तो बैरिया, फेफना व मोहम्मदाबाद सपा जीती और जहूराबाद में सपा सुभासपा गठबंधन में सुभासपा जीती। वहीं बलिया से भाजपा चुनाव जीती। यानि उस वक्त के रिजल्ट में चारों सीटें सपा की झोली में रही। यही वजह है कि सपा जीत का दावा कर रही है। अब वक्त तय करेगा कि आगामी लोकसभा चुनाव में इन विधानसभाओं में मोदी फैक्टर कितना कामयाब होगा। हालांकि लोकसभा और विधानसभा की तस्वीर कुछ अलग होती है। कोई जरूरी नहीं होता है कि विधानसभा में जीत लोकसभा चुनाव में कारगर हो।

Jamuna college
Gyan kunj
Jamuna Ram snakottar
Jamuna Ram snakottar
Jamuna Ram snakottar

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *