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Ballia : पूजा पाठ और यज्ञ करने मात्र से कोई धर्मात्मा नहीं हो जाता: सन्त राम रसिक दास


मझौवॉ (बलिया)।
पूजा पाठ और यज्ञ करने मात्र से कोई धर्मात्मा नहीं हो जाता है, ये सारे कार्य रावण आदि निशाचरों के द्वारा भी संपादित हुआ करता था। रावण तो अपना मस्तक काट-काट कर शिव को समर्पित करता था, पर रावण को क्या कोई धर्मात्मा मानता है, नहीं मानता है, इनकी गणना आज तक महान पापियों में होती आ रही है। उनका पुतला आज भी लोगों के द्वारा जलाया जा रहा है। उक्त बातें ग्राम पंचायत जागदेवा के चिंतामणि राय के टोला स्थित ख्यातिलब्ध ब्रह्मलीन सन्त केसरी दास बाबा के कुटी पर अयोजित नव दिवसीय श्रीराम प्रतिष्ठात्मक यज्ञ मंे रविवार की रात्री प्रवचन के क्रम में अयोध्या धाम से पधारे सन्त राम रसिक दास जी महाराज ने कहा। बताया कि आप पूजा पाठ करो या न करो जब तक धर्म के जो दस लक्षण है उसे जीवन मंे नहीं धारण करोगे तो तुम धर्मात्मा नहीं माने जाओगे। ये धर्म के दस लक्षण है धृति, छमा, दम अर्थात इन्द्रियों पर विजय प्राप्त करना, अस्तेय अर्थात किसी भी प्रकार की चोरी न करना, शौच अर्थात पवित्रता, इन्द्रिय निग्रह, घी, अर्थात पवित्र बुद्धी विद्या, वहां विद्या जिससे परमात्मा कि प्राप्ति किया जाय सत्यम और अक्रोध। ये धर्म के दस लक्षण यदि आप में है तो आप बिना पूजा पाठ किए भी धर्मात्मा है। आज हम पूजन पाठ यज्ञ आदि सब कुछ करते है, पर इस गुणांे को ग्रहण नहीं करना चाह रहे है, इसलिए सब कुछ करने के बाद भी हमें उसका फल प्राप्त नहीं हो रहा है। कथा देर रात तक चलती रही। जहा श्रद्धालु नर नारी पड़ रही बुंदा वादी में भीगते हुए कथा रूपी सागर में गोता लगाते रहे।

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