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Ballia : कभी मनोज सिन्हा तो कभी अफजाल अंसारी ने बलिया में ठोकी थी ताल

2009 में नीरज, 2014 में भरत और 2019 में मस्त बने सांसद
बलिया से रोशन जायसवाल की एक रिपोर्ट,
बलिया।
लोकसभा बलिया में नये परिसीमन के बाद पहली बार गाजीपुर जिले की दो विधानसभा मोहम्मदाबाद व जहूराबाद बलिया लोकसभा सीट में शामिल हुई थी। जबकि 2004 के लोकसभा चुनाव में ये दो विधानसभा बलिया लोकसभा सीट में शामिल नहीं थी। मोहम्मदाबाद और जहूराबाद बलिया लोकसभा सीट में शामिल होने के बाद 2009 में भाजपा से मनोज सिन्हा चुनाव लड़े जिन्हें एक लाख 37 हजार 740 वोट मिले थे। जबकि यहां दूसरी बार सपा से नीरज शेखर सांसद बने थे। उन्हें दो लाख 76 हजार 649 मत मिले थे। वहीं बसपा से संग्राम यादव को दो लाख 4 हजार 94 वोट मिले थे।

मनोज सिन्हा उस वक्त चुनाव लड़े थे जब देश में मोदी लहर नहीं थी। इसलिये उन्हें कम मत मिला। उसके बाद 2014 लोकसभा चुनाव में अफजाल अंसारी कौमी एकता दल से बलिया लोकसभा सीट से चुनाव लड़े जिन्हें कुल 163943 मत मिले थे। अफजाल अंसारी के चुनाव लडने से नीरज शेखर चुनाव हार गये। इसके पीछे यह कयास लगाया गया था कि सपा का मुस्लिम वोट कौमी एकता दल में चला गया। जिसके कारण नीरज शेखर दूसरे स्थान पर रहे। जिन्हें 220189 वोट मिला था। ऐसे में भाजपा का पहली बार बलिया लोकसभा सीट पर कमल खिला और भरत सिंह भाजपा के पहले सांसद बने। जिन्हें कुल मत 359329 मिले। कौमी एकता दल और समाजवादी पार्टी की लड़ाई में भाजपा की मोदी लहर में भरत सिंह को फायदा मिला।

आज भी बलिया की राजनीति में 2009 का लोकसभा चुनाव सबके दिलों में इसलिये बना हुआ है कि गाजीपुर लोकसभा सीट से सांसद रहे मनोज सिन्हा व अफजाल अंसारी ने कभी यहां बलिया लोकसभा सीट पर ताल ठोंकी थी। उसके बाद न तो कभी मनोज सिन्हा चुनाव लड़ने आये और न ही कभी अफजाल अंसारी। बात करें तो नये परिसीमन के बाद भले ही गाजीपुर का दो विधानसभा बलिया लोकसभा सीट में सम्मिलित रहा हो लेकिन बलिया के ही प्रत्याशी जीतकर सदन में पहुंचते रहे। बात करें तो 2009 में नीरज शेखर, 2014 में भरत सिंह, 2019 में वीरेंद्र सिंह मस्त जीतकर सदन में जाते रहे है।

जन आशीर्वाद यात्रा के बाद अब सपा का जनविश्वास यात्रा
बलिया। भाजपा के जन आशीर्वाद यात्रा के बाद अब सपा का जन विश्वास यात्रा कितना सफल साबित होगा यह 26 अप्रैल को ही पता चल सकेगा। जन आशीर्वाद यात्रा के सामने जन विश्वास यात्रा को लेकर समाजवादी पार्टी कार्यालय में जबरदस्त तैयारी है। 10 अप्रैल को भाजपा ने नीरज शेखर को उम्मीदवार घोषित किया था और 15 अप्रैल को भाजपा प्रत्याशी/राज्यसभा सांसद नीरज शेखर जन आशीर्वाद यात्रा लेकर बलिया लोकसभा क्षेत्र में पहुंचे थे। उनकी यात्रा में परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह व मंत्री दानिश आजाद अंसारी सहित कई बड़े नेता शामिल हुए थे।

अब भाजपा के जन आशीर्वाद यात्रा के ठीक 11 दिन के बाद सपा का जनविश्वास यात्रा बलिया लोकसभा में पहुंचेगा। सपा ने सनातन पांडेय को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। बकायदे 22 अप्रैल को इसका ऐलान भी कर दिया। वैसे सनातन पांडेय की यह यात्रा दूसरी है। पहली यात्रा 2019 में जब वह सपा बसपा गठबंधन में प्रत्याशी घोषित हुए थे, उस वक्त आये थे। अब दूसरी 26 अप्रैल को तैयारी है। बुधवार को सपा जिलाध्यक्ष संग्राम यादव ने जनविश्वास यात्रा को सफल बनाने के लिये कमर कस ली है। उनका दावा है कि ये यात्रा ऐतिहासिक होगी।

जब बलिया में मुलायम सिंह ने भेजी समाजवादी फौज


बलिया। वक्त-वक्त की बात है जब सपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने नीरज शेखर को जिताने के लिये सत्ता के सामने पूरी समाजवादी फौज उतार दी। ऐसे जानें…। पूर्व प्रधानमंत्री व बलिया के सांसद चंद्रशेखर जी के निधन के बाद जब 2007 में उपचुनाव हुआ तो चंद्रशेखर जी के राजनीतिक विरासत को संभालने के लिये नीरज शेखर पहली बार सपा में राजनीति की शुरूआत की थी। और उन्हें सपा ने उम्मीदवार बनाया था। और वहीं बसपा सरकार में चुनाव लड़ रहे बसपा प्रत्याशी विनय शंकर तिवारी सपा के उम्मीदवार के नीरज शेखर के सामने ताल ठोंक रहे थे।

बसपा सरकार के कई मंत्री, कई बड़े नेताओं की बलिया में छावनी बन गयी थी। पूरी बसपा सरकार नीरज शेखर को हराने के लिये मैदान में उतर आयी थी। लोकसभा उपचुनाव के दौरान मुलायम सिंह यादव बैरिया में नीरज शेखर के लिये हेलीकाप्टर से सभा करने आये थे। सभा में भीड़ न होने को लेकर मुलायम सिंह काफी नाराज हो गये थे। जब अपने नेताओं से मुलायम सिंह ने कारण पूछा तो नेताओं ने बताया कि हम सत्ताधारी प्रत्याशी के सामने लड़ रहे है। हमारी मशीनरी कमजोर हो रही है। हम संसाधनों के अभाव में है। मुलायम सिंह को यह बात लगी और वह लखनऊ पहुंचे और उसके दूसरे दिन बलिया में समाजवादी फौज उतर आयी। जिसमें उत्तर प्रदेश के बड़े नेता अमर सिंह, अखिलेश यादव, धर्मेंद्र यादव, शिवपाल यादव, यशवंत सिंह, ओमप्रकाश सिंह, जनेश्वर मिश्रा सहित कई बड़े नेता बलिया पहुंचे और उसके बाद नीरज शेखर के पक्ष में बहुत तेजी से चुनावी माहौल बनने लगा और नीरज शेखर चुनाव जीतकर पहली बार सांसद बनें।


लड़े कई बार लेकिन जीते एक बार भी नहीं
बलिया। लोकसभा बलिया सीट से ब्राह्मण उम्मीदवार कई बार लड़े लेकिन जीते एक बार भी नहीं। लेकिन आज भी बलिया के ब्राह्मणों में यह कसक जरूर है कि हमारी संख्या अधिक होने के बावजूद भी हम चुनाव मैदान में सफल नहीं हो पा रहे है। बात करें तो भाजपा में तीन बार ब्राह्मण उम्मीदवार मैदान में उतारा। पंडित रामकृष्ण मिश्रा दो बार, पीएन तिवारी एक बार चुनाव लड़े लेकिन सफल नही हुए। उसके बाद बसपा ने दो बार ब्राह्मण उम्मीदवार मैदान में उतारा, एक बार 2007 के उपचुनाव में विनय शंकर तिवारी व 2014 के लोकसभा चुनाव में इंजीनियर वीरेंद्र पाठक उर्फ टुनजी व 2019 में सपा ने सनातन पांडेय को उतारा लेकिन वह भी नहीं जीत पाये।

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