Ballia : बलिया में कौन करेगा साइकिल की सवारी
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राजनीतिक गलियारे में तीन प्रमुख नामों पर चल रही चर्चा
बलिया से रोशन जायसवाल की एक रिपोर्ट
बलिया। सपा की चौथी सूची में भी बलिया लोकसभा के प्रत्याशी का नाम नहीं होने से तरह-तरह के कयास लगाये जा रहे है। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की नजर में वह कौन चेहरा पर है? जिस पर वह दांव लगाना चाहते है। वैसे, बलिया लोकसभा सीट पर कई दशक से समाजवादियों का ही कब्जा रहा है।
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ऐसे में इस सीट से समाजवादी विचारधारा से जुड़े नेताओं को प्राथमिकता मिल सकती है। पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर जी के निधन के बाद बलिया लोकसभा से सपा ने उनके पुत्र नीरज शेखर को दो बार जीताकर दिल्ली के सदन में भेजा।
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फिर इसके बाद मोदी लहर में 2014 एवं 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने समाजवादियों से यह सीट छीन ली। भले ही समाजवादी विचारधारा से जुड़े लोगों ने बलिया लोकसभा की सीट खो दी है, लेकिन लोकसभा चुनाव-2024 में सपा हर हाल में यह ट अपने पाले में करना चाहती है। परिणाम स्वरूप सपा प्रत्याशी चयन में बहुत चिंतन-मंथन कर रही है।
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टिकट की दौड़ में खड़े दावेदार मुलायम सिंह यादव एवं अखिलेश यादव सरकार में किये गये कार्यों को भुनाना चाहते है।
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सपा के सभी नेता जननायक चंद्रशेखर विवि, जनेश्वर मिश्र सेतु, सीवरेज योजना, पीपी मॉडल पर महिला अस्पताल, ट्रामा सेंटर, लोहिया मार्केट, सुरहाताल, सड़कों का जाल, मॉडल तहसील, गंगा बहुद्देशीय सभागार, निर्भया के गांव मेड़वरा में हास्पिटल, नगवां में राजकीय महिला कालेज, शहीद मंगल पांडेय स्मारक, निर्माणाधीन लालगंज-शिवपुर में उप्र-बिहार को जोड़ने वाला पुल आदि की जिक्र करते हुए इसे सपा सरकार की उपलब्धि बताने से नहीं चूकते है।
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लखनऊ से मिल रही सूचना के अनुसार सपा में बलिया लोकसभा से तीन प्रमुख दावेदार पूर्व मंत्री अंबिका चौधरी, पूर्व मंत्री नारद राय एवं सनातन पांडेय का नाम जोर-शोर से चल रहा है।
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सपा को यादव-मुसलमान के अलावा अन्य जातियों के वोट को प्लस करने वाला प्रत्याशी चाहिए। इसमें भूमिहार बिरादरी से पूर्व मंत्री नारद राय के नाम की चर्चा जोरों पर है। वहीं, ब्राह्मण चेहरा में सनातन पांडेय का नाम चल रहा है।
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राजनीति के पक्के खिलाड़ी माने जाने वाले पूर्व मंत्री अंबिका चौधरी भी टिकट की दौड़ में सबसे आगे है। वैसे, मुहम्मदाबाद, जहूराबाद, फेफना में भूमिहार बिरादरी के वोट ज्यादा है। इसके अलावा बलिया में भी भूमिहारों की संख्या मायने रखती है।
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ऐसे में सपा भूमिहार चेहरे को मौका दे सकती है। वहीं, ब्राह्मणों की भी संख्या निर्णायक भूमिका में है। इधर, सपा के एक नेता की माने तो यदि भाजपा किसी क्षत्रिय को मैदान में उतारेगी तो सपा भूमिहार अथवा ब्राह्मण चेहरा पर दांव लगा सकती है। टिकट की दौड़ में तीन प्रमुख नामों के अलावा और भी चेहरे लाइन में है। सूत्रों का दावा है कि पूर्व मंत्री अंबिका चौधरी, नारद राय एवं सनातन पांडेय में से कोई एक चेहरा साइकिल पर सवार होकर चुनाव मैदान में आयेगा।
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44 सालों से राजनीति कर रहे नारद राय
बलिया। उस क्षण को कभी नहीं भूला जा सकता, जब 1980 में जनेश्वर मिश्र लोकदल से चुनाव लड़ रहे थे। उस समय नारद राय छात्र राजनीति में थे। वह टीडी कालेज से छात्रसंघ चुनाव की तैयारी कर रहे थे।
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इसी बीच कुछ बड़े नेता नारद राय के पास पहुंचे और जनेश्वर मिश्र के चुनाव में साथ रहने की बात की। इसके बाद नारद राय ने राजनीति की शुरूआत करते हुए जनेश्वर मिश्र के साथ हो गये। 1981 में वह टीडी कालेज से छात्रसंघ चुनाव लड़े, लेकिन किसी कारणवश परिणाम घोषित नहीं हुआ।
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दोबारा 1982 में छात्रसंघ चुनाव लड़े और जीत हासिल की। यूं कहे तो नारद राय 44 साल से राजनीति में है। वह पहली बार 1985 में बलिया लोकसभा से लोकदल के टिकट पर चुनाव लड़े। इसके बाद 1993 में सपा-बसपा गठबंधन में विधानसभा चुनाव लड़े।
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इन दोनो चुनावों में इनको सफलता नहीं मिली। 2002 में बलिया विधानसभा से सपा के टिकट पर चुनाव जीते और नगर विकास राज्यमंत्री बने। 2007 में सपा के टिकट पर चुनाव लड़े, लेकिन जीत नहीं मिली।
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इसके बाद 2012 में दूसरी बार चुनाव लड़े और विधायक बनकर अखिलेश सरकार में मंत्री बने। 2017 एवं 2022 में वह चुनाव नहीं जीत पाये। टाउन इंका से टाउन डिग्री कालेज तक में शिक्षा ग्रहण की। इसके पूर्व की पढ़ाई उनके गांव में हुई। सपा में भूमिहार चेहरे में सबसे नेताओं में पूर्व मंत्री नारद राय का नाम शामिल है। यदि भूमिहार प्रत्याशी उतारने पर सहमति बनी तो पूर्व मंत्री नारद राय पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव भरोसा कर सकते है।
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