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Ballia : इफ़्तेखार खान की चित्रकारी में बलिया आंदोलन की है झलक

रोशन जायसवाल
बलिया।
आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष में जनपद के वरिष्ठ चित्रकार और राजकीय इंटर कॉलेज बलिया के कला अध्यापक डॉ. इफ़्तेखार खान ने बलिया की माटी से पैदा हुए उन सभी महान क्रांतिकारियों, रणबांकुरे जिन्होंने इस देश को अंग्रेजों से बचाने के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर करते हुए शहीद हो गए। उनके इस बलिदान को अजर अमर बनाने के लिए अपनी तूलिका के माध्यम से बलिया क्रांति 1942 पर कलाकृतियों की श्रृंखला बनाकर अनोखे ढंग से श्रद्धांजलि दे रहे हैं, जिसकी सराहना जनपद के जनमानस द्वारा की जा रही है।

डॉ. इफ्तेखार खान बताते हैं कि बलिया क्रांति 1942 का जिक्र आते ही एक ओर जहां मन करुणा से भर जाता है तथा आंखों में मोती आ जाते हैं, वहीं दूसरी ओर अपने पूर्वजों के त्याग एवं बलिदान को याद करते हुए सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। उन महान क्रांतिकारी शहीदों के उत्कर्ष को यादगार बनाने के लिए मैंने सन 2001 में बलिया क्रांति 1942 को सत्य घटना पर आधारित काल्पनिक चित्र बनाकर अपनी तूलिका के माध्यम से श्रद्धांजलि देने तथा भावी पीढ़ी को उनके उत्कर्ष को बताने के उद्देश्य से बहुत परिश्राम पूर्वक कलाकृतियों का निर्माण किया।

इसके लिए तत्कालीन जिलाधिकारी राजेश कुमार सिंह ने अगस्त बलिया क्रांति 1942 घटनाक्रम की स्टोरी उपलब्ध कराते हुए कलाकृतियों को बनाने के लिए प्रेरणा दिये इसके साथ ही राजकीय इंटर कॉलेज बलिया के तत्कालीन प्रधानाचार्य जावेद आलम आजमी ने भी उत्साह वर्धन एवं प्रोत्साहित किये। जिलाधिकारी राजेश कुमार सिंह ने बलिया क्रांति 1942 पर आधारित कलाकृतियों की श्रृंखला को बलिया महोत्सव 2001 में प्रदर्शित करने के लिए निर्देशित किये, जिसको देखकर तत्कालीन वन्य एवं जंतु मंत्री राजधारी सिंह भी सराहना किए।

बलिया महोत्सव 2001 के समापन के अवसर पर उत्तर प्रदेश के राज्यपाल महामहिम डॉ. विष्णुकांत शास्त्री ने बलिया क्रांति 1942 की कलाकृतियों की श्रृंखला को अवलोकन किये और भूरी-भूरी प्रशंसा करते हुए स्मृति चिन्ह, प्रमाण-पत्र एवं अंगवस्त्रम् से सम्मानित किये।

डॉ. इफ़्तेख़ार खान ने बताया कि मेरा उद्देश्य बलिया की मिट्टी में जन्मे वीर सपूतों के त्याग एवं बलिदान की शौर्य गाथा को तुलिका के माध्यम से देश के विभिन्न कला दीर्घाओं में प्रदर्शित कर देश के कोने-कोने के जनमानस को बताना है मेरा मानना है कि उन शहीदों के लिए यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी और इसकी पहल गत वर्ष 22 से 30 अगस्त 2022 तक मेरठ में आयोजित राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी में बलिया क्रांति 1942 बैरिया थाना की घटना पर आधारित शहीद कौशल किशोर सिंह के उत्कर्ष वाली पेंटिंग को प्रदर्शित कर शुभारंभ कर दिया गया है।

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