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Ballia : जो प्राणी सच्चे मन से लें भगवान का नाम, होगा कल्याण : सिद्धनाथ

दुबहड़ के घोड़हरा स्थित महंथ जी के मठिया में श्रीमद् भागवत कथा आयोजित
बलिया।
दुबहड़ क्षेत्र के घोड़हरा स्थित महंथ जी के मठिया में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के तृतीय दिन आचार्य पंडित सिद्धनाथ जी ने कथा में समुद्र मंथन और अजामिल की कथा का वर्णन करते हुए कहा कि जो व्यक्ति सच्चे मन, श्रद्धा या जाने अनजाने में भी भगवान को याद करता है, उस पर कभी कोई संकट नहीं आता। यहां तक कि भगवान अपने भक्तों के संकट को अपने ऊपर झेल कर भी अपने भक्तों की रक्षा करते हैं।
अमृत प्राप्ति के लिए जब असुरों और देवताओं में समुद्र मंथन होने लगा तो उस समय समुद्र मंथन से हलाहल नामक अत्यंत उग्र विष निकला। यह अत्यंत उग्र विष सभी दिशाओं में ऊपर नीचे फैलने लगा। हलाहल विष के भय से सभी देवता, ऋषि मुनि और असुर भी भागने लगे। तब इससे बचने के लिए सभी देवताओं, ऋषि, मुनि भगवान शिव की स्तुति करने लगे और स्तुति करते हुए कहने लगे हे देवाधिदेव भगवान महादेव। इस हलाहल विष से आप हमारी रक्षा करें। हलाहल विष के कारण संपूर्ण जगत पर आए संकट को देखते हुए भगवान शंकर ने अपने भक्तों तथा जगत कल्याण के लिए स्वयं विष का पान कर लिया. जिससे उनका कंठ नीला पड़ गया।
सदाचारी ब्राह्मण अजामिल जो गलत संगत में पड़कर दुराचारी हो गया था, उसे भगवान धर्मराज के दरबार में यथोचित दंड मिलना था, लेकिन अंत समय मृत्यु शैय्या पर अपने पुत्र नारायण का नाम ले लिया, जिसके कारण उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई और वह यम की दंड यात्रा से बच गया। इस मौके पर अभिषेक कुमार पांडेय, संजीत कुमार पांडेय, अंजनी कुमार पांडेय, राकेश कुमार पांडेय, महेशानंद गिरि, पूर्व प्रमुख उर्मिला गिरी, पूर्व प्रधान उषा गिरी, रामबली सिंह, उमा गोस्वामी, चंद्रा शर्मा, अंशु गिरी, अमोल गिरी, राजेश सिंह आदि मौजूद रहे।

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