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Ballia : बलिया के विकास को लेकर एक और खबर, जनता का सांसद को मिल रही है बधाई

विकास की दौर में अब बलिया सबसे दिखेगा आगे
बैरिया (बलिया)।
काफी अरसे से विकास के मामले में पिछड़े हुए बलिया को एक नई ऊर्जा प्राप्त हुई है। आत्मनिर्भरता के मामले में सरकार की परियोजना बलिया में धरातल पर उद्योग के रूप में स्थापित होती दिख रही है। जिसका श्रेय मोदी सरकार और बलिया के सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त को जाता है।
उद्योग के मामले में बैरिया तहसील क्षेत्र के खवासपुर में एथेनॉल प्लांट के साथ-साथ 8 मेगावाट का बिजली प्लांट के साथ-साथ रहेगा। 4 मेगावाट बिजली खुद एथेनॉल प्लांट को चाहिए तथा 4 मेगावाट बिजली जयप्रकाश नगर फीडर पर चला जाएगा। जिससे बलिया के लोगों को बिजली भी मिलेगी। इथेनॉल से बनने के बाद उसे निकला अनाज का अपशिष्ट से 100 टन प्रतिदिन पशु आहार बनेगा। जिसका प्लांट भी इसी औद्योगिक क्षेत्र में लगेगा। इस औद्योगिक में फूड प्रोसेसिंग प्लांट भी भारत सरकार के किसान संपदा योजना से 45 करोड़ के लागत से लगने जा रहा है। जो भारत सरकार के फूड प्रोसेसिंग मंत्रालय ने 10 करोड़ की राशि जारी कर दिया है। दियराचंल का हरा मटर, हरी सब्जी जिसको फ्रोजन कर अत्यधिक ठंड – 45 डिग्री गल्फ देशों में भेजा जाएगा।इससे किसानों कि सब्जी खराब नहीं होगी। कृषि से संबंधित प्रत्येक प्रकार का उद्योग इस औद्योगिक क्षेत्र में लगने जा रहा है। अगले मार्च तक सभी क्षेत्र में उत्पादन प्रारंभ हो जाएगा।

मोदी सरकार का अहम फैसला बायो पेट्रोल उत्पादन प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत प्रमुख तेल उत्पादक कंपनियों के समूह तथा पर्यावरण मंत्रालय को सार्वजनिक खाद्यान्न वितरण मंत्रालय के समुदाय द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि पूर्वांचल का बलिया मक्का, चावल उत्पादन करने में अग्रणी है। मक्के के सीजन में भाव नहीं मिलता है, और बिचौलिए के द्वारा औने पौने दाम में अपना उत्पाद बेच देते हैं।इस समस्या का बहुत बड़ा हल सरकार ने निकाला है। अनाज से ऊर्जा बनाना जिससे अनाज का भाव कम नहीं होगा, और किसानों को लाभकारी भाव मिलेगा। यही नहीं इस कड़ी में गंगा सरयू के संगम पर सरकार के सहयोग से संगम पर द्वाबा एग्रो प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना होने जा रही है। बलिया का यह पहला औद्योगिक क्षेत्र विकसित हो रहा है। कृषि क्षेत्र का प्रत्येक अपशिष्ट जैसे भूसा, अनाज का डंठल, मक्के का बी

ज, मक्के का डन्ठल गंगा के किनारे सूखे परवल के लतर, चावल का भूसा तथा लकड़ी के टुकड़े व कोयला से आठ मेगावाट बिजली बनेगा। इथेनॉल बनाने की प्रक्रिया में उसके भाप से यह प्रक्रिया होगी। खवासपुर में एथेनॉल प्लांट लगभग 200 करोड़ की लागत से स्थापित हो रहा है। जिसका बाउंड्री, कार्यालय इत्यादि का कार्य पूर्ण हो गया है। बैंक से वित्तीय सहयोग प्राप्त हो गया है। मशीन इत्यादि का भी ऑर्डर दे दिया गया है। मार्च के प्रथम सप्ताह में यह प्लांट शुरू हो जाएगा। इससे 500 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार व हजारों लोगों को अप्रत्यक्ष रूप में रोजगार मिलेगा। प्रतिदिन 300 टन मक्का या चावल लगेगा। तथा एक लाख लीटर पेट्रोल बनेगा। टैंकर के माध्यम से बैतालपुर मुगलसराय डिपो जाएगा वहां से सभी पेट्रोल पंपो पर मिलाकर आएगा। 20 फिसदी एथेनॉल मिलने का सरकार का लक्ष्य विश्व के सामने मोदी जी 2025 तक रखे हैं। बलिया भी पर्यावरण के सुधार में सहयोग करेगा। इस एथेनॉल के प्लांट से बलिया को एक बहुत बड़ा उद्योग मिल जाएगा।

बैरिया। सांसद वीरेन्द्र सिंह मस्त का कहना है कि आने वाला दिन किसान का है। किसान सिर्फ अन्न दाता नही। अब उसके खेत मे तेल का कुंआ होगा।आज देश मे 45 हजार करोड का तेल आयात कम हुआ है।वह पैसा किसानो के जेब मे गया है।सन् 2014 के पहले मक्का 700 रूपये कुन्तल था। आज 2200 रूपये कुन्तल है। आने वाले एक साल के अन्दर 3000 रुपये प्रति कुन्तल होगा। एक विघा मे मक्का 20 कुन्तल हो रहा है। साल मे 3 फसल होता है।मोदी सरकार का लक्ष्य है कि एक विघा मे किसान एक लाख प्रति साल कमाए। एथेनॉल का प्लांट उद्योग के मामले में बलिया में मिल का पत्थर साबित होगा।

बलिया से मनन पाण्डेय की एक खास रिपोर्ट

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