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Ballia : किसान फसल की कटाई के बाद खेत में न जलाये पराली: जिला कृषि अधिकारी


बैरिया (बलिया)।
किसान फसल की कटाई के बाद खेत में पराली न जलाएं। सेटेलाइट के माध्यम से किसानों के खेतों की निगरानी की जा रही है। पराली जलाने पर जानकारी हो जाती है कि किस अक्षांश-देशांतर पर पराली जली है इस पर दंडात्मक कार्रवाई होगी। इसमें दो एकड़ जलाने पर 25 सौ रुपये, दो से पांच एकड़ जलाने पर पांच हजार रुपये और पांच एकड़ से ऊपर जलाने पर 15 हजार रुपये अर्थदंड निर्धारित किया गया है। जबकि पराली का विक्रय कर लाभ प्राप्त किया जा सकता है। जिला कृषि अधिकारी पवन कुमार प्रजापति से पूछने पर बताया कि किसान फसल के अवशेष को जलाते हैं तो प्रथम बार अर्थदंड एवं दूसरी बार जलाने पर अर्थदंड के साथ सरकारी योजनाओं के अनुदान से वंचित किया जा सकता है। पराली जलाने से खेत की उर्वरा शक्ति प्रभावित होती है। वहीं पर इससे निकलने वाले हानिकारक धुएं से पर्यावरण में प्रदूषण बढ़ता है। इसके कारण जीव-जन्तु के साथ मानव स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। पराली जलाने से मृदा का तापमान बढ़ता है। साथ ही मित्र जीव जन्तु कीट भी नष्ट हो जाते हैं। हैरो से जुताई कर खेत में पानी भरकर 40 किग्रा. यूरिया प्रति हेक्टेयर की दर से डाल दें, इससे अपशिष्ट पदार्थ सड़कर मृदा में खाद बनकर मृदा को उपजाऊ बनाएगा। इसके बाद खेत में गेहूं, चना, मटर, मसूर, सरसों आदि फसलों की बुआई करें। पराली को जैव उर्जा नीति 2022 के तहत जनपद में गौशाला मे पराली दो खाद लो का प्राविधान किया गया है। पराली देकर गौशाला मे बनने वाले कम्पोस्ट खाद किसानो के लिए लाभकारी है। इससे ऑर्गेनिक अनाज पैदा किया जा सकता है।

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