Ballia :छपरा- बनारस रेलखंड पर सेनानियों ने कर लिया कब्जा
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-सिकन्दरपुर में थानेदार ने बच्चों के जुलूस पर घोड़ा दौड़ाया ।
बलिया। ब्रिटिश सरकार की पुलिस के दमन और अत्याचार के बाद भी बलिया की जनता ने यह तय कर लिया था कि ब्रिटिश सरकार बलिया से उखाड़ फेंकना है। इतिहासकार डॉ.शिवकुमार सिंह कौशिकेय बताते हैं कि 14 अगस्त 1942 को चितबड़ागांव में भोजदत्त यादव और माधव सिंह बरहजिया के नेतृत्व में जनता ने डाकघर पर धावा बोलकर सारे अभिलेख और रोकड़ पर अधिकार कर लिया तथा स्वायत सरकार की स्थापना करके डाकघर के संचालन के लिए जगन्नाथ तिवारी को आजाद भारत का डाकपाल बना दिया। डॉ.कौशिकेय ने बताया कि सोहांव से राम नगीना राय सैकड़ों युवाओं के साथ चितबड़ागांव पहुंचे। इन लोगांे ने चितबड़ागाव, ताजपुर और फेफना सहित आस-पास के गावों की जनता के साथ मिलकर पूरी रात मेहनत करके रेलवे के सिग्नल, टेलीफोन लाइनो को काट दिया। जगह-जगह रेल पटरियां उखाड़ दी। बिल्थरारोड में इलाहाबाद-वाराणसी में पढ़ने वाले विद्यार्थियों ने पूरी एक ट्रेन पर ही कब्जा करके उसका नाम ‘आजाद हिन्द ट्रेन’ रख दिया था। यह ट्रेन 8 बजे सुबह बिल्थरारोड स्टेशन पर पहुंची।
डॉ.कौशिकेय ने कहा कि इस ट्रेन पर सवार एक क्रांतिकारी छात्रा ने ललकारा-अंग्रेजी राज खत्म हो गया है, यहां से दक्षिण के सारे स्टेशन फूंक दिए गए है, यहां के लोग मर्द नहीं मालूम देते अच्छा होता, हिम्मत नहीं है तो चूड़ियां पहन लो। क्रांतिकारी युवाओं की यह ट्रेन आगे की ओर अलख जगाने बढ़ गयी। उस क्रांतिकारी छात्रा की ललकार ने छात्र नेता पारसनाथ मिश्र को झकझोर दिया, उन्होंने डीएवी स्कूल के छात्रों को साथ लेकर जूलूस निकाला रेलवे स्टेशन, मालगोदाम, पानीटंकी डाकघर फूंक दिया। तभी चीनी ले जा रही एक मालगाड़ी यहां पहुंची उसकी सारी चीनी लूट कर उसे भी आग लगा दी गयी। सबसे अहम बात यह रही की चीनी को तो लोग लूट कर घर ले गए लेकिन नोटो को तिजोरी से निकालने के बाद आग में डालकर जला दिया। इस कांड को अंजाम देने वालों में देवनाथ उपाध्याय प्रधानाचार्य डीएवी, डा. हरचरण लाल, सरजू राम, सुदेश्वर लाल, ऋषि तिवारी, चन्द्रदीप सिंह, चन्द्रमा यादव, जगन्नाथ पाण्डेय, प्यारे मोहन लाल, बासुदेव सिंह, माधव सिंह, लाल जी दूबे तथा श्रीकान्त ने उल्लेखनीय योगदान दिया। इनके साथ हजारों की भीड़ भी थी। ये सभी लोग वंदेमातरम, भारतमाता की जय और इन्कलाब जिन्दाबाद के नारे लगा रहे थे।
डॉ.कौशिकेय ने बताया कि सिकन्दरपुर के चेतन किशोर निवासी राम नगीना राय छोटे स्कूली बच्चों के जूलूस के साथ मिडिल स्कूल सिकन्दरपुर पहुंचे, बच्चे हाथों में तिरंगा लिए आजादी गीत गा-गाकर लोगों को जूलूस में शामिल होने के लिए खींच रहे थे, मिडिल स्कूल से जब बच्चे कस्बे की ओर बढ़े तब थानेदार अशफ़ाक अहमद ने ब्रिटिश साम्राज्य के प्रति अपनी स्वान स्वामी भक्ति दिखाते हुए, बच्चों के जूलूस पर घोड़ा दौड़ाने लगा जिससे दर्जनो बच्चों के हाथ पैर कुचल कर टूट गए। घायल होकर गिरे नन्हें-मुन्हें बच्चों पर भी यह दरिंदा घोड़े घुमाता रहा। अन्त में रामनगीना राय को गिरफ्तार कर बलिया जेल भेज दिया। आज कटरिया के जंगल में 250 से अधिक क्रांतिकारी कार्यकर्त्ताओं ने बैठक करके आगे की रणनीति बनाई, जिला मुख्यालय से मात्र 5 किमी की दूरी पर हुई, इस बैठक की भनक भी प्रशासन को नहीं लगने पाई।
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